हम मिले थे यूँ ही एक सख्श से कहीं
बाते बहुत हम , दिन रात किया करते थे !
एक आदत सी हो गई थी हमें उनकी आवाज की
उनको भी बातें हमारी अच्छी लगने लगी थी !
बातों ही बातों में हम एक दिन मिले भी ,
मिलने के बाद फिर मिलते गए ,
शर्माना उस शख्स का , हमें भाने लगा था
उनको भी , छुपके से देखना हमे, आने लगा था !
मुझे याद आते हैं पुराने वो दिन अपने
जब फर्क नहीं था सामने होने न होने का
मुझे याद आता है , जब फर्क नहीं था
छूने में और देखने मे उस शख्स को । वो एक सा था
वो सामने पे बहुत प्यारा था , वो फोन में और भी अच्छा था
वो मिलता था तो अपना था , वो दूर हो के भी अपना था
अब न जाने इस प्यार ने क्या मोड़ लिया है ,
हम सामने होते हैं जब तभी एक होते है ,
अब फोन पे बात करना , वो रात भर एक दूसरे को देखना
कहीं गुम सा हो गया है , वो अब जिद्द भी नहीं करता बात करने की
वो सो जाता , अब कभी भी , वो बात करता है अब कभी भी ,
वो रूठ जाता है कभी भी, वो बीन मनाये सो जाता है कभी भी।
याद आता है वो बहुत रात भर हमे , बहुत !
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