बूंद बूंद कर टपकते प्राण को आँख से चखते हैवान देखो
खून की खेती करते नए भारत के किसान देखो
#सिंघुबोर्डे-
दरिंदों की एक कौम जन्म ले रही है...।
हवस जिनकी आँखों में पल रही है...।।
ये कैसी जमात-ए-मुस्लमाँ है..।
जो सब कुछ खत्म कर रही है...।।
सुना था कर के कुर्बानी बचाते हो इन्सां...।
तो क्यों फिर तुम्हारी अब गैरत मर रही है...।।
इक वालिद, इक भाई का कत्ल किया तुमने...।
आज हरकतों पर तुम्हारी इन्सानियत रो रही है...।।
सजाएँ क्या दे हैवानों तुमको...।
तुम्हारी हैवानियत पर हर सजा कम पड़ रही है...।।
📝AFसर©️
हम ऐसे मुस्लमानों का बहिष्कार करते हैं जो इस्लाम के नाम पर बदनुमा दाग हैं। हम हमारे हिन्दू भाईयों के साथ है क्योंकि वो है तो हम हैं और हम हैं तो हिन्दूस्तान हैं।
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अब क्या कहें कि इंसानियत कैसे शर्मसार सरेआम हो गया,
निहत्थों को मारकर, गुनेहगारों का नाम हो गया ?😕
खाकी वाले तो यकीनन बहादूर होते हैं,
तो क्या बहादुरी की कीमत लग गयी ?जो पालघर में एैसा काम हो गया
चलो सरकार की बात मान भी लें ,कि भूल से चोर समझ लिया था उनको 🤨
इसकी सजा कानून देती, एैसे कैसे कत्ले-आम हो गया?
ये वर्दी कातिलों से डरने के लिए नही उन्हें डराने के लिए है ,
फिर एैसे क्यों वर्दी की इज्जत, नीलाम हो गया?
सुनकर स्तब्ध था Aksh, कि बोलूँ क्या इस पर 😚?,
इस महान हुजरों की टोली पर कैसे हैवानियत का परचम महान हो गया?
कितनी कीमत मिली है ,इस साजिशन हत्या की?
संतो की निर्मम खून का कितना करोबार हो गया?
अब क्या कहें कि इंसानियत कैसे शर्मसार ,सरेआम हो गया?🤨
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जालियांवाला बाग काण्ड के,
हर एक बलिदानी को,
सौ सौ बार सलाम करें,
शीश झुकाए हम हिंदुस्तानी सब,
जब तक रहे "हिमालय" "गंगा",
जब तक रहे जवानी यह,
तब तक अमर शहीदों का,
अमर रहे कुर्बानी यह।।
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कमलेश तिवारी यूपी व बंगाल में एक हिन्दू परिवार की नृसंश हत्या के विरोध में संवेदनाएं .........
समझ में यह नहीं आता कि हिन्दू सुप्त क्यों है ?
राणा,शिवा का जोश,साहस सब लुप्त क्यों है ?
वतन की आबरू को क्युँ लूटा जा रहा हरदिन ,
ऐसे बहशी दरिंदे सारे यहाँ गुप्त क्यों है ।-
रिंकू शर्मा की हत्या करने वाले
मुसलमानों में से एक की बीवी को
रिंकू शर्मा ने ☹
कुछ ही महीनों पहले अपना खून देकर
जीवनदान दिया था ,
🤔निभाओ भाईचारा😥-
नपुंसक तु स्वतःला बोलून,
कोणीही दखल घेणार नाही...
संघटीत होऊन संघर्ष कर,
बघ पुन्हा हत्याकांड होणार नाही...-