Is sone ki chidiya par lagi thodi si Jang hai
Kahi balatkar Kahi hatyae ho Rahi hai
Is tarah se ki lasshe bhi ro Rahi hai
Milta nahi Insaaf sabhi ko
Jaha kanun bhi andh hai
Kahi bhrastachari hai
Kahi darm k name pe Jang hai
Matdan to bas Nam ka hai
Rajniti hi prajatantra hai
Is sone ki chidiya par lagi thodi si Jang hai
Amir amir hota ja rha
Garib ko jeena gavara nahi
Chup chap khade SB dekhte hai
Bolo kya kusur kuch tumhara nahi
Desh badalne se phle chalo khud badalate hai
Eid ke din Hindu bhi to gale milte hai
Achhai ki kami nahi hai
Burai utni bhi badi nahi hai
Chalo is Jang Ko saaf krte hai
Bharat Ko fir se Sona krte hai
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पूछते हैं कि सोनभद्र में मिला है
3000 टन का जो सोना,
क्या अब मुमकिन है देश की
अर्थव्यवस्था में सुधार होना।
सोना हिंदुस्तान में पहले भी
तो बहुत पाया जाता था,
और "सोने की चिड़िया"
भारतवर्ष कहलाया जाता था।
पर तब जो हुआ था वह
आज भी सब जानते हैं,
देश प्रेम जब लालच में बदले
तो क्या होता है सब मानते हैं।
अर्थव्यवस्था को सोने के साथ
सद्भावना व समझ भी चाहिए,
खुद से पहले देश का सोचेंगे
आज सब ये कसम खाइए।
मिलकर बनाएंगे देश को सब
फिर से वहीं "सोने की चिड़िया"
एकता के साथ जब सोनभद्र पर
काम करेंगे,तो दूर नहीं वो घड़ियां।
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कभी सोचा, क्या पाया और क्या खोया हैं,
इंसानियत तो कब से मुँह मोड़ कर सोया हैं,
ढूंढ सको तो ढूंढ के ला दो,
भारत को फिरसे सोने की चिड़िया बना दो।-
मेरा भारत एक समय सोने की चिड़िया कहलाता था।
समय बदला, बाहर से कुछ लोग आए और इस चिड़िया को कब्जे में कर लिया।फिर जंग छिड़ी स्वतंत्रता की और कई वीरों के बलिदान के बाद हमारा देश हमें मिला पर तब शुरुआत शुरू से थी ना सोना था ना वो चिड़िया।आज 75 साल बाद भी गरीबी वही है पर एक नई चेतावनी दस्तक दे रही है।बदलते युग के साथ आपके घर की, हमारे देश की हर छोटी सी से छोटी जानकारी मनोरंजन और जानकारी के नाम पर बेची जा रही है।जिसका आपकों अहसास भी नही।कंहा कैसे पहुँचा जा सकता है।कंहा कैसा परिवेश है।ये अहम जानकारी आप दुनियां के किसी भी कोने में प्रसिद्ध होने के लालच में पहुँचा रहे है।आपकों लग रहा है मैं कितना ज्यादा डिटेल में जानकारी दूंगा उतना ही प्रसिद्ध हो जाऊँगा पर यही आप वह भूल कर रहे है जो 75 साल पहले हुई थी।भारतीय लोग संस्कृति के कारण पूरे विश्व में पहचाने जाते है पर आज दुःख होता है देखकर फूहड़ता का चोला पहने बच्चे,घर की महिलाएं और पुरुष कोई भी पीछे नही है।माया ने हर व्यक्ति को अंधा कर दिया है।ना कोई अब घर में गलत के लिए रोकने वाला ना टोकने वाला।खासकर वे जिनके पास कोई खास कला नही है पर फूहड़ता का नृत्य करके भारतीयों की सोच को अलग दिशा में पंख फैला रहे है।भारत को फिर से सोने की चिड़िया बनाने के लिए आपकों अपनी आँख, कान और दिमाग सभी को खुला रखना होगा।आप जो भी करें आगे का सोचकर करें।-