सुरमा लगाकर, जो कभी अपने चस्म को, सजाया करते थे,
आज.......!
तेरे तअस्सुर से ही, मेरे चस्म, बिन सुरमे के, चमक जाया करते है।।-
खूबसूरती और भी निखर जाती है,
वो आँखों में सूरमा कुछ इसलिए भी लगाती है-
कुछ इश्क़ की बातें मुझसे तेरी नज़रें करती हैं,
कुछ मैं भी तेरे सूरमे सा होता जाता हूँ।
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जो अपने डर के सामने डट जाता है
अटल चट्टान सा
वही राह के अवरोध को पार कर
सफलता के सिंहासन का हकदार होता है
वही अकेला सूरमा
भीड़ को दिशा दिखाने वाला
दिशाकाश होता है— % &-
खूबसूरती और भी निखर जाती है,
वो ज़ुल्फ़ों में गजरा शायद इसलिए भी लगाती है ।।-
गर हो इजाजत तो तेरी तस्वीर बना दूंगा
मैं तो आशिक हूं आंखों का सूरमा भी चुरा लूंगा-
इक रोज़ मुझे सूरमे संग मशक़्क़त
करता देख आईना मुस्कुराया था,
वो बोला-भूल गई क्या,
तुम्हारी सादगी ने ही उसे मार गिराया था।
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377 के सफाए के बाद
सियासी सूरमाओं की
एक नई खोज
"अप्राकृतिक रिश्ता"
😊मुबारक हो😊-
"जब वो हल्के से उठा के नज़रे अदब से पलकें झुकती है,
हाय देख कर ये अदा उसकी फिज़ा की बहारें भी शर्मातीं है,,
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सच है विपत्ति जब आती है
कायर को ही दहलाती है
सूरमा नहीं विचलित होते
क्षण एक नहीं धीरज खोते
विघ्नों को गले लगाते हैं
कांटों में राह बनाते हैं
-रामधारी सिंह दिनकर-