QUOTES ON #सखी

#सखी quotes

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5 AUG 2020 AT 20:38

रोते हुए को हँसा दे और हँस्ते इंसान को भी रुला दे
कुछ ऐसी नायाब है
वो लड़की नहीं चलती-फिरती आफत की दूकान है
मेरे होठों पर छायी शरारत भरी मुस्कान है
पतझड़ में बारिश की पहली बरसात है
मुस्कराहट उसकी शान है खुबसुरती उसकी पहचान है
सिर्फ दोस्त ही नहीं वो मेरी ख़ास है
मेरी परछाई वो मेरी जान है❣

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14 NOV 2020 AT 8:48

निविशेष निवेदिता, निहायत नीतिपरक,
नित्य निराकुल, निश्च्छल, नियाजी नीतू!
निःसंदेह, निःस्वार्थ निगाहे निगहबानी,
निपुण निदेशिका, निकस निधि नीतू!
नीरव निरधी, निर्विवाद निष्ठा निसर्ग,
निष्पक्ष निरुपिति, निराडंबर नीतू!
निभृत, निमग्न, नियंत्रित नियतात्मा,
नीतिगत नीतिपरायण नीतिवान नीतू!
निर्दंभ नियत निरधी, निर्दल, नियामक,
निर्मल निवेष्ट, नींव निहित, निष्कपट नीतू!
निहाल निशमन, निरत निसबत, निजत्व,
निंदा निकंदन, निर्दोष, निर्भीक, निशेश नीतू!
!! राज सोनी !!

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28 APR 2020 AT 16:30

एक अपने हृदय की बात बताऊँ,

अबतक जितनी दुनिया देखी उसमें केवल और केवल मेरे परमप्रिय श्रीकृष्ण ही ऐसे हैं जो कभी कुछ चाहते नहीं अपितु प्रेम ही करते हैं, कभी कुछ माँगते भी नहीं अपितु सदा देते ही हैं, कभी मुझसे नाराज़ नहीं होते अपितु मुझे प्रसन्न ही करते हैं, कभी क्रोधित भी नहीं होते अपितु और प्यार करते हैं, कभी डाँटते नहीं अपितु मेरी सब सुनते ही हैं, कभी मारते नहीं अपितु पीड़ा ही हरते हैं, कभी कटु वचन नहीं कहते अपितु हमेशा मीठी बातों से समझा देते हैं, कभी अपमानित नहीं करते अपितु प्यार से भूल का अहसास कराते हैं, और हाँ, कभी मुझे वो नज़रअंदाज भी नहीं करते अपितु मेरा ही ध्यान कई बार भटक जाता है। यही अनुभव हैं मेरे, विश्वास कीजिए आपको भी यह अनुभव जरूर होगा एक बार लगन तो लगाइये उनसे। मेरे गिरधर साँवरिया को छोड़कर अन्यत्र जहाँ मर्जी आप भटकते रहिये, ऐसे अमृत की प्राप्ति कभी हो ही नहीं सकती। मैं तो कहूँगी मन के अश्वों को लगाम दीजिए और कृष्ण नाम रस का पान कीजिए।
||राधे राधे||

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4 AUG 2020 AT 8:56

सरल, सुमधुर, सकल सदाचारी,
सहगामी, सहज, संस्कारी सुधा!
संवेदन संभाषण, सक्षम संतोषी,
सिद्धहस्त, सचेतन, समग्र सुधा!
सत्यापित सद्गुण, सदैव सबल,
सीख सरिता सी, सदिच्छा सुधा!
समता, समदर्शी, समरस समर्थ,
सुखसाध्य सुखी, सम्यक सुधा!
सरस्, सम्मोहक, सर्जक सलीका,
सुधामय, सुधानिधि, सुनंदा सुधा!
संजीदा संजीवनी, संयमी, सुहृदय,
साझी, साथी, सहेली, सखी सुधा!
__राज सोनी__

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जाकी मीठी है मुरली,
मीठा तराना है।
चोर छलिया कहे वाको,
सारा जमाना है।।
कटारी बने जाके,
नैना कजरारे हैं।
वाकी मीठी मुस्कान ते,
सारे जन हारे हैं।।
कौमुदी सा मुख,
जाके सेवतीदल अक्षर है।
वाके हिय ते बसी प्रणय,
सुरसरि अनक्षर है।।
मधु पान कर मधुकर,
मधुसूदन जिमावे।
कंचन कांति कपोल ,
कर्ण कुसुम सुहावे।।



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कुछ आधा कुछ पूरा रह गया,
ए जिंदगी तेरा मेरा साथ अधूरा रह गया....
जो मिला उसकी चाह न थी,
जो कभी ना मिला ख्वाहिशें उसकी ही थी।
रोशनी पूरे शहर में थी मेरे घर में अंधेरा रह गया।।
ए जिंदगी तेरा मेरा साथ अधूरा रह गया.....
गीत सावन के जो लिखे थे,
वह डायरी में ही छुप गए,
ख्वाहिशें जुबान पर ही ठहरी रही
सब कुछ अनकहा रह गया।
ए जिंदगी तेरा मेरा साथ अधूरा रह गया....
कभी वक्त ने साथ नहीं दिया,
तो कभी तूने हाथ छुड़ा लिया,
उड़ गए सारे मन के पंक्षी
अकेला बसेरा रह गया।
ए जिंदगी तेरा मेरा साथ अधूरा रह गया....

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पता नही कौन?
छाँट रहा है प्रेम,
सुप्त पड़ी अनुभूतियों में
तोड़ रहा है मौन परिस्थितियों को....
जागृत कर है
नीरव भंगिमा
अचेतन ही सही परन्तु
मृत्यु के भय को काट रहा है
जोड़ रहा जीवन की कड़ियो को...
पता नही कौन?
अदृश्य है या धुंध मे लुप्त
निवास बना चुकी अशांति को
क्षीण कर रहा है....

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मुझे भी मुस्कुराने का हकदार कर दो ना।
मेरे भी हिस्से में इतवार कर दो ना।।
और कितनी चोट दोगे ,
और कितना तपना होगा।
और कितनी त्यागनी इच्छाएं होंगी,
मेरी इच्छाओं को भी मेरा जिम्मेदार कर दो ना।।
मेरे भी हिस्से में इतवार कर दो ना......
सबको खुश करना है ,
दिन भर चूल्हे पर जलना है।
तुम्हारी पसंद की चाय भी बनानी है,
कभी तुम भी एक चाय का प्याला मेरे नाम कर दो ना।।
मेरे भी हिस्से में इतवार कर दो ना......
मुझे भी देखना है ताजमहल,
मुझे भी जाना है सिनेमा।
मेरे भी सीने में दिल है,
मेरे लिए भी कभी सावन की बौछार कर दो ना।।
मेरे भी हक में इतवार कर दो ना .......

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20 MAY 2020 AT 13:20

पुनि हिरदय में पीर सखी,
आस-विश्वास के तीर सखी।
वो मोहन निष्ठुर जाने क्या-
बिन उनके नहीं धीर सखी।

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कभी कभी खुद से एकांत में यूं ही एक मुलाकात.…...?
कुछ लम्हे बस खुद के साथ एक सुलझी
अनसुलझी बात..🌷🌿

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