अगर आप इन अफ़सानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते तो ये ज़माना ही नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त है
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आज कल लोग खयालों में ही कपड़े उतार देते है
और आँखों से बलात्कार कर देते हैं
सआदत हसन मंटो उनमें से थे जो उसे कपड़े पहनाने की कोशिश भी नहीं करते,
क्योंकि यह उनका काम नहीं, दर्ज़ियों का काम था ।
उनका काम उन कहानियों को दुनिया के सामने लाने का था
जहाँ उन्होंने कई क़ुरबानी दी और कभी पीछे नहीं हटे
सआदत हसन मंटो के जन्मदिवस पर
उनको नमन करता हूँ उन के जज्बे को सलाम करता हूँ,
अपने जाति से उठ कर मैं ऐसा काम करता हूँ,
वह अच्छे इंसान और महान उर्दू लेखक थे,
मैं उनको कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ
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मैंने ऐसी फ़िज़ा में परवरिश पायी है जहाँ अपनी ख़्वाहिशात को दबाना बहुत बड़ा सवाब है। — % &
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नग्न था तो नग्नता से
नग्न यथार्थ वो दिखाते थे
आलोचना के भागी रहे;
समाज को कपड़े जो नहीं पहनाते थे।
कल भी मौजूँ थे वो और कल भी रहेंगे,
सआदत ना रहे पर मंटो ज़िंदा रहेंगें।
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✍ अब यह ऐब मुझमें शुरू से रहा है。。。
कि झूठ बोलने का सलीक़ा नहीं है ।।
✍ अगर आपको मेरी कहानियां अश्लील या गंदी लगती हैं, तो जिस समाज में आप रह रहे हैं,वह अश्लील और गंदा है। अगर आप इन अफसानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते तो ये जमाना नाकाबिले-बर्दाश्त है।।
मेरी कहानियां तो सच दर्शाती हैं।।
(-सआदत हसन मंटो!)-