तुम शुभंकर शांत निर्मल
शून्य की गहराइयों से युक्त हो
तुम राग की गहराइयों से मुक्त हो
तुम विनाश से परे
अविनाशी शिव शंभू के वंशज हो
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मैं ज्ञान के आकाश में
प्रज्ञा का आदित्य हूँ
भाव के सिंधु में
कर्म का मुखर मोती
प्रेम के सरोवर में
ध्यान का निर्मल कमल
मैं अगणित अखंड अनंत हूँ
मैं गर्वित गुंजित गगन हूँ
मैं हिंद के रक्षकों का वंशज हूँ
मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ-
धीर हूँ वीर हूँ गंभीर हूँ
दरिया नहीं समंदर हूँ
मुश्किलों के नाश का मैं नाद हूँ
अधर्म अनाचार का विनाश हूँ
मर्यादित हूँ संकल्पित हूँ
निज कर्म को समर्पित हूँ
तेज हूँ त्याग हूँ
वीरता की ढाल हूँ
धर्म का खंड्ग हूँ
प्रज्ञा का कमल हूँ
मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ
मैं शुभंकर शिव का वंशज हूँ-
मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ
मैं हिंद के रक्षकों का वंशज हूँ-
वीरता की ढाल
शौर्य की तलवार हूँ
कर्तव्य से भरा हुआ
सिंह विकराल हूँ
सृजन हूँ प्रलय हूँ
कर्म का कमल हूँ
धर्म का शुभ फल हूँ
मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ
मैं अभ्यंकर शिव का वंशज हूँ-
यूँ ही किसी से मैं लड़ता नहीं,
युद्ध से डरता नहीं।
अनाचार सहन कभी करता नहीं,
अन्याय के पथ पर मैं चलता नहीं।
मैं हिंद के रक्षकों का वंशज हूँ।
मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ।।
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अगर बात हो राष्ट्र की,
तो सत्ताओं से टकराना पड़ता है।
अधर्मी शासन को जड़-मूल से हटाना पड़ता है।
राष्ट्र रक्षण में जीवन संपूर्णता से खपाना पड़ता है।
अधर्म,अनीति, अन्याय के शासन को,
अपनी प्रज्ञा की तलवार से हराना पड़ता है।
धर्म शासन स्थापित करने वाले महान गुरु,
चाणक्य का वंशज हूँ।
मैं हिंद के रक्षकों का वंशज हूँ।
मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ।।-
कोई भी मनुष्य अपनी.....
माता के पुण्य से सुशील होता है
पिता के पुण्य से चतुर होता है
वंश के पुण्य से उदार होता है और
उसके स्वयं के पुण्य होते हैं,,
तभी वह भाग्यवान् होता है....!!
🌷आपका दिन शुभ हो🙏🌷-
क्या कह दूँ..!
आदत न ऐसी मेरी है
जो कहा वही करना होगा
कुछ ऐसी फितरत मेरी है
मौसम की तरह बदल जाऊ
आदत न ऐसी मेरी है
जो वचन दिया उसकी खातिर
हानि-लाभ जस-अपजस की परवाह नही
जो कहा गया उसकी खातिर
जीवन का दांव लगा देना
माना आसान नही है
कह के, बात निभा जाना
रघुनंदन के हम वंशज है
मुश्किल है कह के भुला देना-
आसमां को अपने ऊंचाई पे गुमान था ,
ज़मी के बिना उसका कुछ न आकार था ।-