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17 JUN 2020 AT 15:54
वह कौन था
जिसने छीन ली
पुरुषों से ममता
ममता से पुरुषार्थ
पुरुषों से आबरू
आबरू से आज़ादी
जिसने छीन लिया
प्रणय से प्रेम
और भर दी वहाँ
कभी लालच
तो कभी हिंसा
**Complete
in captions**-
19 MAR 2017 AT 13:00
किन्नर हूँ अभिशाप नही
अंग भंग कोई पाप नहीं
ख़्वाब थे कुछ मेरे भी
श्रृंगार करूं सोलह
हो लाल मेरा भी जोड़ा
ब्याह रचाऊँ
मांग सजाऊँ
ना सुहागन ना विधवा हूँ
तन मन अधूरा
कुछ भी नहीं पूरा
ताली औरों की मान बढ़ाती
मेरी ताली गाली कहाती
श्रापित मेरा जीवन
लिंग त्रुटि मेरा दोष नहीं
अंग भंग है फिर क्यों ना
विकलांग कहाऊ ???
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31 JAN 2018 AT 8:01
बलवान आदमी, शैतान बना
सशक्त होकर भी अबला है नारी
अलिंग हुआ तो दोषमुक्त है वो
द्विलिंग हुआ तो सब पर भारी-
16 MAY 2017 AT 14:46
ना ब्याह रचा मांग सजी
ना ब्याहता ना विधवा हूं
लिंग त्रुटि का अभिशाप लिए
मृत्यु की राह तकता हूं
(poem in caption)-