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बहुत ही ख़ास हो तुम मेरे लिए
नादान दिल की
हर आवाज़ हो तुम मेरे लिए
जैसे नक्श तराशी हो किसी शौकिया हथेलियों ने
वैसी सुंदर लेखन की पयाम
एक खूबसूरत तस्वीर हो तुम मेरे लिए-
होके गैरों सा क्या मिला तुझे क्या मिला मुझे
बस दर्द में लिपटा तू यहाँ मिला मुझे मैं वहाँ मिला तुझे
खुशियाँ दूर हुई सुकून रहा ना पास हमारे
बस गंगा जल सा बहकर तू यहाँ मिला मुझे मैं वहाँ मिला तुझे-
शरीर के ज़ख्म पर मरहम लगाती हूं
दिल के ज़ख्म को मुस्कुराहट से छुपाती हूं-
मां ! बे - वक़्त सी मुस्कुराहट थी; बचपन की,
ये, बड़प्पन का तकिया चैन से सोने नहीं देता ।।-
तुम मन से मेरी मीत हो मिल गई
पर जाने प्यास कब बुझे मेरे प्यासे नैनों की
देख मेरी जोगन मुझे टोह लगी बस तेरे दरस की
जो गीत गगन सुनाए कोयल की भाँती
तब पुलकित मन हो प्रिये हमारे मिलन की
है आवाह्न तुझे मुझे प्रीत लगी जोगन बस तेरे दरस की
बयाँ खूबसूरती की हो जो मुझे तुम मुस्कुराती मिले
हो सुकून तेज़ धड़कनों में जो मिले जोगन मुझे एक तेरे छुवन की
हरषु तुम हर ओर तुम फ़िर भी "अमर" नैन तरसे प्रिये बस तेरे दरस की-
शायद मेहरबानों की यही
अदा होती है | खुशियाँ छीनकर
पुछते हैं
अब तो खुश हो ना ?-
बड़ी देर से रहते आये हों इस दिल के मकान पर,
क्या एक मुस्कुराहट तक नहीं दोंगे किराए के तौर पर।-