''लिखने की जवाबदेही और किसी के प्रति चाहे न हो, अपने प्रति तो है । हम अपने होने की सार्थकता कहाँ ढूँढें ?"
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9 OCT 2019 AT 6:00
2 MAY 2020 AT 11:11
बिगड़ी हुई ज़िन्दगी की उम्मीद है दोस्ती ।
हारकर भी हार ना माने ये जिद है दोस्ती ।-
5 AUG 2018 AT 8:50
माना की सच्ची मित्रता आइने की तरह होती है।
सही-गलत बताकर इंसान को रास्ते दिखाती है।
मगर अक्सर मैने ये देखा है की कड़वी
सच्चाई बतानेपर आईनेके शीशे तुट जाते है।-
13 MAR 2021 AT 0:27
इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के-
25 MAY 2021 AT 10:05
सबकी खामी भरा दरिया नजर आता है मगर,
अपनी कमियों का समंदर गहरा नहीं दिखता
वैसे ही जैसे अपनी ही आंखों से,
अपना ही चेहरा नहीं दिखता-
28 JUN 2020 AT 12:55
"आजाओ कलयुग में,
फिर इतिहास रचाऊं।
तुम कृष्ण बनकर आना,
मैं सुदामा बन जाऊं।
तुम ठंड से ठिठुरना,
मै अकेले चने खाऊं।
फिर अपनी गलती पर,
उम्रभर पछताऊं।
पाऊं जब दर्शन तेरे,
व्याकुल मैं हो जाऊं।
सच्ची मित्रता का मतलब,
इस दुनिया को समझाऊं।"-