हम ठहरे शाकाहारी आप तो मांसाहारी.....!
फिर हमसे परहेज़ तो बिल्कुल लाज़िमी....!!-
कुछ पुरूष मांसाहारी पशुओं की भांति होते हैं
उन्हें एक स्त्री में मांस से परे कुछ दिखाई नहीं देता-
माँस भक्षण एक दानवीय प्रवृत्ति है ! मानवता से दूर–दूर तक इसका नाता नहीं है ! हम स्वयं तय करें कि हम दानव हैं या मानव !
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LINES BY ME ON VEGETARIANISM POSTED ON FB ON 17JUN2017
हमेशा की तरह आज भी करूँगा बात साफ
चाहे हो जाए दुनिया मेरे खिलाफ
जब बेजुबान जानवर को मार खाते हो उसका माँस
तो क्यो करते हो सर्व शक्तिमान ईश्वर से तुम्हे प्रसंन रखने की आस
मकसद पेट भरना नही अपितु स्वाद की वजह से बना ली इसकी आदत
या फिर मकसद है इसे खाकर बड़ाना अपने शरीर की ताक़त
कभी तो अल्लाह को खुश करने के लिए किया जाता है मासूम जानवर को कुर्बान
कभी सबका है अपना खाने का अधिकार ये कहकर ली जाती है जानवरो की जान
जहाँ है शाकाहारी भोजन की कमी वहाँ वक़्त की नज़ाकत कह सकते है मासाहारी खाना
पर क्या उचित है शाकाहार से समृद्ध स्थानों पर मासाहार से अपनी भूख मिटाना
अगर उचित है तो फिर उचित होगा मनुष्य द्वारा मनुष्य को मारकर बनाना भोजन
क्योकि शोध बताते है कि बहुत ही स्वादिष्ट और ताकवर होते है इंसान के माँस से बने व्यंजन-
एक व्यक्ति जो अपने जीवन में मांशाहार का सेवन करता है फिर वो किसी भी मत-पंथ से संबंध रखता हो , उससे ही समाज एवं पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। बुद्धिपूर्वक विचार करने पर आपको समझ आ जायेगा।
✍️✍️ ✍️सौरभ 'Shekhar'-
नैतिक, स्वास्थ्य, पर्यावरण, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सौंदर्य, आर्थिक और अन्य कारणों से शाकाहार को अपनाया जाना चाहिए !
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हलाली और हवा में लटके माँस के लोथड़े को टीवी पर धुंधले में दिखाते हो और स्टूडियो में पैनल बिठाकर खाने की आजादी पर बहस करते हो.. जिसको दिखाने तक की आजादी नहीं, उसको खाने की आजादी कहाँ तक मुद्दा है!! समझ नहीं आता कि जीव हत्या के विरोध का फैशन है या फिर बात जब जीभ की आती है तो क्राइटेरिया बदल जाता है!!!
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गंगा में तैरते हुए एक शव ने कौवे से कहा-
कागा सब तन खाइयो,
चुन-चुन खाइयो मांस !
दो नैना मत खाइयो,
मोहे अच्छे दिन की आस !!-