सौरभ Shekhar   (सौरभ Shekhar)
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Joined 25 December 2017


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Joined 25 December 2017
31 JAN 2022 AT 22:14

जीवन में तार्किकता को धारण करने वाला व्यक्ति ही मनुष्य कहलाता है।
तार्किकता- Rationality, Logic, Reason

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24 JAN 2022 AT 20:40

एक व्यक्ति जो अपने जीवन में मांशाहार का सेवन करता है फिर वो किसी भी मत-पंथ से संबंध रखता हो , उससे ही समाज एवं पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। बुद्धिपूर्वक विचार करने पर आपको समझ आ जायेगा।

✍️✍️ ✍️सौरभ 'Shekhar'

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22 JAN 2022 AT 19:29

*अध्यात्म विद्या* के सौंदर्य के समक्ष कुछ भी सुंदर नहीं है। भारत के वैदिक एवं उपनिषद काल की विद्या के माध्यम से ही युवा शक्ति को षड्यंत्रों से बचाया जा सकता है। इसके लिये *गुरुकुलीय शिक्षा व्यवस्था* ही देश में पुनः स्वर्णिम काल लाने में मददगार साबित हो सकती है।

✍️✍️✍️ सौरभ 'Shekhar'

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16 JAN 2022 AT 12:28

आर्ष विद्या के स्वाध्याय व मनन से मनुष्य का बौद्धिक विकास होता है, मन शुद्ध व पवित्र विचार वाला बनता है एवं व्यक्ति स्वयं आत्मविश्वास व दृढ़ संकल्प वाला बनते लगता है।

✍️✍️✍️ सौरभ 'Shekhar'

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13 DEC 2020 AT 17:59

"मत-पंथ के अंधविश्वासी"
जो भी व्यक्ति अपने आप को मत-पंथ से संबंधित रखते है वो घोर अंधविश्वास में जी रहे हैं। और ऐसे व्यक्ति ईश्वर में विश्वास रखते हुए भी ईश्वर पर कई बार दोष लगाते रहते हैं। इनकी ईश्वर के प्रति श्रद्धा मात्र दिखावा है , झूठी है।
Note: मत-पंथ (हिन्दू,मुस्लिम,जैन, बौद्ध, सिख,ईसाई , आदि )

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12 DEC 2020 AT 19:19

यदि आप हिन्दू,मुस्लिम, सिख, ईसाई या SC/ST, OBC, Gen में उलझे हुए है तो उलझे ही रहेंगे जिंदगी भर लेकिन यदि आप इन सबका त्याग कर देते बुद्धिपूर्वक विचार करके तो आपके मनुष्य बनने की यात्रा शुरू हो जाएगी। और आपकी बाकी जिंदगी सुलझती जाएगी।

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11 MAY 2020 AT 9:06

"ईश्वर पाप क्षमा नहीं करता"
" किए हुए कर्मों का फल निष्फल नहीं जाता,इसका अर्थ ईश्वर हमारे पापों को कभी भी क्षमा नहीं करता बल्कि उनका यथोचित अच्छे-बुरे कर्म का फल प्रदान करता है ", इसी से ही ईश्वर न्यायकारी है।

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28 MAR 2020 AT 20:22

सत्य का है प्रकाश फैलाया
क्रांतिकारियों की प्रेरणा हो,सत्य के स्वाभिमान तुम्ही हो,
तुमनें ही जीवन में हमकों,सत्य विद्या का ज्ञान कराया,
जब देश में व्याप्त पाखण्डों का,कुरीतियों का था बोल-बाला,
उसी समय केवल आप ही थे,जिसने अविद्या का नाश किया था,
फैराकर पाखण्ड-खंडनी पताका,पाखण्डों का नाश किया था,
थर थर कांप उठे अभिमानी, वेदों का जब घोष किया था ,
स्थापना करके आर्य समाज की, आर्यों का है मान बढ़ाया,
सत्यार्थप्रकाश की रचना करके,सत्य का है प्रकाश फैलाया ।।

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18 MAR 2020 AT 9:05

" विनम्र नमन "

सुवाक्य वाटिकाओं के कुछ अनमोल वचन से ।
हृदय हर ले हम सुहृदों का विनम्र नमन से।।
पुष्प न होंगे पर कोमल वर्षा होगी गगन से ।
धुल जाएंगे सभी विकार अपनों के विनम्र नमन से ।।
शांत सुसज्जित वातावरण में किये मनन से ।
वैर भाव मिटेंगे आपस के विनम्र नमन से ।।
पूर्वप्राप्त पूर्वजों के सुसंस्कारों के चमन से ।
मान बढ़ाएं पूर्वजों का सन्मार्ग चलन से ।।
कुविचारों को हटाएं प्रतिहृदय के गहन से।
आओ जय करें हृदय सभी का विनम्र नमन से ।।
✍️✍️✍️✍️ शास्त्री गजेश शर्मा

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24 FEB 2020 AT 6:53

" क्या कहेंगे लोग " यह सोच कर माता-पिता व समाज किसी जीव पर दबाव बनाकर कार्य करवाता है और परिणामस्वरूप वह जीव भी भावुकता में आकर कार्य करता है तो इसके लिये माता-पिता,समाज व वह संतान(जीव) इन सभी को दंड मिलेगा ईश्वर की न्यायव्यवस्था के अनुरूप।
क्योंकि वह जीव(संतान) भी अपनी इच्छा के विरुद्ध कार्य कर रहा है जो कि पूर्णतः गलत है।

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