एक मनोवैज्ञानिक का आशीर्वाद-
आत्म-सिद्ध हो जाओ।
Be Self-actualized-
मनोवैज्ञानिकों से सलाह लेना,
कलंक नहीं होता..
हमारी एक कोशिश से,
वो हमें एक नया ज़ीवन दे सकते हैं!!..-
मुश्किल भरी राहों का
एक अंतर्द्वंद्व सदैव रहेगा
कोई और आप की
मनोवैज्ञानिक लड़ाई लड़ें
ऐसा नहीं होता
क्रूरता भरी पशुता हजारों बरसों में
किसी एक माहौल में ही होती हैं
जिस उम्र में बच्चों नाती पोतों से
अगाध प्रेम हो जाता हैं
उस समय मां बाप क्रूरताओं की
पराकाष्ठा पार कर दें
अविश्वसनीय लगता है अविश्वसनीय
तुम्हारा यह विभत्स चेहरा
-
सोचता हूँ अक्सर
उसके घर वालो से उसका हाथ मांग के
उसकी शादी रकीब से करवा दूँ
कुछ नही तोह कम से कम
मुझसे झूठ बोलने कि उसकी आदत छुटे।-
एक मनोवैज्ञानिक सोच का विश्लेषण-----
वयस्क पुरुष के मन में वक्ष के प्रति
आकर्षित भाव साधारणतया
वासना तृप्ति की इच्छा को
जागृत कर और प्रबल बना देता है!
ऐसी सोच से लगता यही है,
कि माँ के दूध से पेट भर कर
बाल्यावस्था के अबोध मन को
जो तृप्ति मिलती है,
तथा अपार वात्सल्य प्रेम की
अनुभूति से जो खुशी मिलती है,
वही तृप्ति भाव मन में एक गहरा,
नहीं मिटने वाला भाव-लगाव
बन रह जाता है,
जो उम्र की जरूरत और
इच्छा से बदल जाता है!!-