समंदर थका है लहर कब थकी है
जरा उन जिम्मेदार मुखिया से पूछो
जिसके पास संघर्ष की कहानी लंबी है
वो नहीं थकेगा नहीं रूकेगा उसको
अपने परिवार परिजनों के लिए
रोटी कमाने की फ़िक्र है-
वैसे भी घर की सफाई मे माहिर हैं हम
बगीचे के रख रखाव के काबिल है हम
हम ना मालिक है ना प्रहरी है हम तो
प्र कृति की सुंदरता को समेटने मे संलग्न हैं-
त्यौहारों पर घर आया करो
तुम नहीं आए तो हमें बुलाया करो
तुम्हारे बिना त्यौहार सूना सूना है
तुम आंचल के अनमोल अमूल्य मोती हो
खुशियों की सौगात बिखेर जाया करो-
अकसर पुराने लोग याद आते हैं
वो भी जिनसे आप का कोई खून का रिश्ता नहीं है
फिर इंसानियत मानवता के लिए याद आते हैं कुछ लोग
मन से मन का रिश्ता जुड़ना टूटना बहुत मायने रखता है
इस समय दीपावली की तैयारी है घर चौखट आंगन
सब कुछ व्यवस्थित करने की जल्दी है
इस सब के बीच याद आते हैं कोई अपने बहुमूल्य रिश्ते
ऐसे जो टूटे फिर कभी जुड़े नहीं
स्मृतियों से मानस से जाते नहीं लोग जाने भी नहीं देना
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अकसर पुराने लोग याद आते हैं
वो भी जिनसे आप का कोई खून का रिश्ता नहीं है
फिर इंसानियत मानवता के लिए याद आते हैं कुछ लोग
मन से मन का रिश्ता जुड़ना टूटना बहुत मायने रखता है
इस समय दीपावली की तैयारी है घर चौखट आंगन
सब कुछ व्यवस्थित करने की जल्दी है
इस सब के बीच याद आते हैं कोई अपने बहुमूल्य रिश्ते
ऐसे जो टूटे फिर कभी जुड़े नहीं
स्मृतियों से मानस से जाते नहीं लोग जाने भी नहीं देना
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दर्द दिखाई देता नहीं फिर भी दर्द देता है
एक पहरेदारी और परदा है दर्द के लिए-
बदलना नियति का निश्चित नियम है
लेकिन तुम बदलना सकारात्मक सोच के लिए
लोगों के कहने में अंधी दौड़ में शामिल होने के लिए
ना बदलना तुम अपने उसूल नियम औरों के लिए-
रात सोई है रात सोई है
दिन का थका नाविक
सुस्ता रहा है कल की
दौड़ में शामिल होने के लिए
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जिंदगी आइने के जैसी कभी नहीं है
आइना गिरा टूटा बिखरा हाथों को
चुभन दे दिया दर्द दिया रक्त बहा
जिंदगी तो जिंदगी है संवरती है सजती है
निखरती है रूप सिंगार करतीं हैं
जिंदगी ना टूटती है ना मुरझाती है
जिंदगी मुस्कान बिखेरती है मुस्कान देती है-
क्या लिखूं सच लिखूं या निश्छल लिखूं
लिखने को तो बहुत कुछ है सीखा अनसीखा
सहेजा अन सहेजा किसको लिखूं
वैसे तो एक पाती रोज़ ही लिख दिया करते है
ऊपर वाले नीली छतरी वाले के नाम
कहते हैं दयालु है सब जानता है लेकिन
बस सही वक्त पर आकर ज़बाब नहीं देता
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