सरकारी नौकरी करके भी अगर काम करना पड़ा, तो ऐसी ज़िंदगी पर लानत है।
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प्राइवेट स्कूल अब मॉल बन गए है।
यहां किताबें बिकती है,
यहां यूनिफॉर्म बिकती है,
यहां जूते मोजे बिकते है,
ट्यूशन के लिए शिक्षक बिकते है,
कुछ स्कूलो में तो धर्म तक बिकता है,
ज़नाब देखा जाए तो यहां शिक्षा का ही
व्यापार शुरू है, और उस पर कामाल ये की,
हम 10 गुना ज्यादा मूल्य देने को तैयार हैं?-
प्राइवेट प्राइवेट सब करे,
प्राइवेट सब कुछ होय,
करनी हो शादी बिटिया की,
फिर ना प्राइवेट ढूंढे कोय।-
उसको लिखने का बहुत शौक था तो वो पेंटर बन गया
जब एक सरकारी स्कूल के जगह प्राइवेट एजुकेशन सेंटर बन गया-
ये प्राइवेट स्कूल् स्टाफ के लिए
कर रहे वो हर पल मन लगाकर काम
तुमने उनकी सैलरी भी रुकवाने का किया काम
बच्चो को पढ़ा रहे इस महामारी मे भी
और तुम कहते हो लूट रहे है स्कूल के एम्प्लोयी
क्या तुमने कभी सोचा है की प्राइवेट स्कूल टीचर्स के मन को भी पहुँचती है ठेस
तुम बस जजमेंट दे रहे ना कर रहे अपना काम
घर पे रहकर फेसबुक पर मचा रहे हो तूफ़ान
शर्म लाज सब धो कर शेयर कर रहे हो सन्देश
क्या तुम मे है हिम्मत जो रोक दो सरकारी स्कूल का
कैश
बस ऊँगली उठाते हो प्राइवेट स्कूल पे
क्या सोचा है कभी वहां जो कर्मचारी करते है लगन से अपना काम सब ने कर दिया है उनका जीना हराम
सरकार मुफ्त का अनाज बाँट रही एक ही क्षेत्र मे
नहीं दे रही टीचरों पर ध्यान
एक तरफ अनपढ़ नेताओं ने जारी किया फ़रमान
तीन महीने का फी नहीं है लेना
क्या खाएंगे शिक्षक क्या खाएगा उनका परिवार
क्या तुम सोच रहे हो एक बार-
कहानियां ज़िंदगी की अब कुछ इस क़दर लिखी जा रही हैं ,
अभी-अभी खींची हुई तस्वीरें भी धुँधली नज़र आ रही हैं।।-
बेचारा मोर
डरा हुआ है
ऊँचा उड़ता नहीं
तेज दौड़ता नहीं
असमंजस में खड़ा हुआ है
राष्ट्रीय पक्षी है
कहीं प्राईवेट हाथों में
न दे दिया जाए।
मारे डर के बेचारे का
रंग उड़ा हुआ है
पंख भी झड़ा हुआ है
बेचारा मोर
डरा हुआ है-
आपकी दीवारों पर
अजनबियों का आना मना है
कोई बात है!
जो परेशान करती हैं?-
प्राइवेट नौकरी पार्ट - 1
सुबह दोपहर शाम तीन शिफ्टों में बटा काम,
हार्ड वर्किंग तो बहुत कहने को तो बस आम।
हर शिफ्टों की स्टार्टिंग बहुत ही एनर्जेटिक
शिफ्टों की एंडिंग देख एम्पलॉइज बहुत परेशान।।
टारगेट बेस्ड रहता है हर कंपनी का काम
पूरा हुआ तो ठीक नहीं तो फिर काम तमाम ।
सुबह दोपहर शाम तीन शिफ्टों में बटा काम,
हार्ड वर्किंग तो बहुत कहने को तो बस आम।
सीनियर की स्मार्ट वर्किग बहुत ही पेचीदा
जीरो लेवल बोल के अपना ही बढ़ा लेते नाम।
सब डिपार्टमेंट अपने में ही मस्त रहता है
बस टारगेट पर ही सभी लगाए रहते ध्यान ।
आखिर कैसे होंगे पूरे टारगेट जब सिस्टम ही है उल्टा,
न्यू मेन पॉवर की भर्ती एच आर का फॉर्मूला
दो घंटे करो काम उसके बाद आराम ही आराम।।
हर शिफ्ट में मेन पॉवर कंप्लीट हो जाता है,
एक दो घंटे बाद पूरा शिफ्ट उन्ही को ढूंढा जाता है।
जब परेशान होकर एम्प्लोई एच आर से करें सिकायत
एच आर बोले मेन पॉवर को भागने में तुम्हारा है नाम।
सुबह दोपहर शाम तीन शिफ्टों में बटा काम
हार्ड वर्किंग तो बहुत कहने को बस आम।
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