रंग तो हमने उन पे गुलाबी हरा डाला था
मगर जनाब लाल पीले हो गये-
समाज भी कैसे रंग बदलता है....
जब कोई पति दुनिया छोड़ चले जाए,
तो यह पत्नी पर सफेद रंग ओढ़ाता है....
जब कोई पत्नी दुनिया छोड़ चली जाए,
तो यही समाज पति के हाथ पीले कराता है....-
दोस्ती का रंग कभी लाल कभी पीला होता है
दोस्त हो तो कोयला भी चमकीला होता है
किस्मत से ही अच्छे दोस्त मिला करते हैं
कोई कोई दोस्त वरना जहरीला होता है
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सुनो मेरे दिल का बुरा हाल हो गया है
दिया था जो पीला गुलाब वो लाल हो गया है-
हे कान्हा तुम कर रहे आज ये कैसी लीला
काली यमुना ने क्यों पहना आज ये अम्बर पीला-
होठों से मुझको कर दो गुलाबी
आँखों से मुझको कर दो शराबी
रंगों से होली खेली है हमने
अंगों से खेलें तो क्या है खराबी
आज भी होती क्यों लाल पीली
पकड़ मेरी कर न पाओगी ढीली
सुराही सी गरदन को जो चूमा हमने
बिना विष के भी हो गयी क्यों नीली
चाहे तुम रूठो, चाहे तुम मारो
हया का पर्दा, नजर से उतारो
भिग जाओ ख़ुद भी, हमें भी भिगो दो
रंग अपना ऐसे अंगों से डारो
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सुबह जो उम्मीद का पीला रंग तुमने मुझे दिया था,
उसमें मैंने प्रेम का लाल रंग घोल दिया,
जो शाम को नारंगी रंग बनकर
आसमान पर फैल गया।-
एक-दूजे से बिछड़कर हम दोनों कितने रंगीले हो गये,
मेरी आँखें लाल हो गई और उसके हाथ पीले हो गये!-
तुमने जो दिया था पीला गुलाब मुझे,
खून से सींच कर लाल कर डाला है-