आप क्यों परेशान हैं ये जरूरी नही
आप परेशानियों से क्यों आसक्त हैं ये जरूरी है ।-
रोज़ याद न कर पाऊं तो खुदगर्ज न समझ लेना दोस्तों,
दरसल छोटी सी ज़िन्दगी में परेशानियां बहुत है..!!-
”मुझे मेरे जैसा ही सरल सहज व्यक्तित्व
बेहिसाब अच्छा लगता हैं...
हकीकत और हैसियत से जुड़ा हुआ
ख़्वाब अच्छा लगता हैं...
मुझे मालूम हैं ये उदासी और परेशानियां
मेरा पीछा छोड़ने से रही...
इसीलिए मुझे चेहरे पर मुस्कुराहट का
नकाब अच्छा लगता हैं...!-
हर चेहरा थका हुआ है,
हर इंसान मरा हुआ है..
कोई इश्क से परेशान है,
तो कोई ज़िन्दगी से परेशान है..
कोई खुद से हारा हुआ है,
तो कोई अपनो से हरा हुआ है..
कोई अपने दुख से परेशान है,
तो कोई दूसरे के सूखो से परेशान है..
यहां हर शख्स दर्द के,
गले लगा हुआ है...
🥀💔🥀
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जिंदगी की परेशानियां कम ज्यादा हो जाती हैं
आँखें हैं साहब बिना आँसू भी नम हो जाती हैं....-
हे परेशानियां कुछ तो डिस्काउंट दे दे
कट रही है जिंदगी कोई रिस्पांस दे दे-
इश्क़ - ए - राह पर परेशानियां भी ख़ूब हैं!
नासमझ मेहबूब में नादानियां भी ख़ूब है!
यूं तो मुझे आंसुओ में मुस्कान दिखती हैं।
पर कम्बख़त दिल में वीरानियां भी ख़ूब है!
वो अपने आइने को भी फरेब सिखाती है।
उनकी मोहब्बत में बेईमानिया भी ख़ूब है!
ख्वाहिशों ने हमारा रास्ता अलग कर दिया।
नहीं तो मेरे सनम में शैतानियां भी ख़ूब है!
प्यार में मजनू ने पत्थर जब भी सह लिया।
तब ज़माने को हुई हैरानियां भी ख़ूब है!
आशिकी का लुफ़्त भी बहुत बेमिसाल है।
तभी तो इश्क़ में कुर्बानियां भी ख़ूब है!
कुछ ख़्वाब ज़रूर तोड़े बेरहमी से उन्होंने।
मगर उनकी मूझपर मेरबनियां भी ख़ूब है!
फक्र करो कि "आशू" दीवाना है आपका।
नहीं तो यहां मेरी दीवानियां भी ख़ूब है!-
क्या तरक्की कर रहा है देश और देश की सरकार,
किसानों का दुख इन्हे दिखता नहीं,
मजदूरों के बारे में कोई सोचता नहीं,
बेरोज़गारी के बारे में कोई बात नहीं करता,
बलात्कार तो जैसे रोज़ की खबर बन गई हैं,
चुनाव आते ही,जिन्हे याद आती है जनता की,
वो नेता आ जाते है हाथ जोड़कर वोट लेने ,
पूरे साल में एक बार अपना चेहरा दिखाने,
इतने सारे झूठे वादे और अपना पन दिखाने,
कोन पूछेगा इनसे बेटियों की रक्षा कोन करेगा ,
समाज में बढ़ते अपराध को कोन रोकेगा ,
बहू, बेटियों की रक्षा कोन करेगा ,
किसान अगर अपने परिवार की रक्षा करेगा,
तो किसान का काम कोन करेगा ,
क्या खाएगा ये देश और नेता और बो अमीर लोग ,
जो आवाज़ नहीं उठाते कभी अत्याचार के खिलाफ ,
जिन्हे कोई फ़र्क नहीं पड़ता देश से और देश की जनता से,।।।-
परेशानियां हमें भी बहुत हैं जनाब
पर मुस्कुराने में क्या जाता है-