थंड
थंड की मौसम है
सर्दी ना लगे जाए
स्वेटर लागाओ चलो
थंड की महोल से बचलो
मफलर से सर को लपेट ही लो
जुकाम से खुद को बचा ही दो
लगाओ ग्लव हाथ पर अपना
करो सुरक्षा खुद पर उतना
थंड की चीजों से बचकर रहो
कई बीमारी से छुटकारा पाओ ।
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मौसम इस कदर खुमारी में है.
मेरा शहर भी
शिमला होने की
तयारी में हैं...!-
चार दीवारों के भीतर वो कम्बल ओढ़े
गर्मी का मजा ले रहा है
दीवारों के बाहर बूढा फ़क़ीर
दोनो हातों से सीने को ढका बैठा है ।।
ये ठंड कहीं पे कमाल तो कहीं पे कहर बन रहा है...-
कीसी ने कहा...
और.. दील चीर दीया..की..,
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"धूप" तो कट जाती है..."
"दरख़्तों" के सर्द साये में...!
"सर्द" रातों में मगर..."
"गर्म" कोई कोना नहीं मिलता...!
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आज मी तीला पाहील
फिरत होती रस्त्यावरुन सुसाट
एकटीच बेफिकीर असल्यासारखी
कोणाची पर्वा नाही
प्रत्येकाच्या समोरुन अलगद
न दिसता लपत लपत फिरताना
हळुच जवळ आली आणि
अंगावर काटा आला
अशी बेभान गुलाबी
मी आज अखेर तिला पाहील च
होय ती थंडी आज एकटी पडली होती..
आपल्या रंगात लाईटीच्या खांबा
जवळ शेकत बसली होती
ती थंडी आज मी पाहीली-
मेरी जिंदगी में थंड भी
इस शहर जैसी है
पर इससे बचने के लिए
ना ही स्वेटर है ना ही मफलर है मेरे पास-
शहर पे नहीं आज ठण्ड
के साये ../
लगता है वो आज शहर में
है आये ...//
®कैलास-
थंड घुस्सेल बिवी जैसी हो गई है,
मैके जाने की धमकी देती है.
बॅग पॅक कर लेती है,
मगर दरवाजे तक ही जाती है...-