बत्तमीज़ समझें
ए कौन चाहेगा
बस सभी को
कहानियां पता नही होती-
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Mass Communication student
New Art's College Ahmednagar read more
मैं पागल हूँ
ए तुम्हे बताना चाहता हूँ
तुमने ए मोहल्ला छोड़ा है
अब चाहता हूँ
तुम ए शहर छोडदो...-
लहरों को
कोई क़ीमत नही देता
त्सुनामी बहाके के ले जाती है
याद रख़ते है लोग उसे
जो तबाही मचाके चले जाते है...-
मेरा मन दुखता है
अपनो का मन दुखाने में
अपनो का मन ही नहीं दुखता
मुझे दुखाने में...-
हमने कभी सवाल किया ही नहीं
ना कभी जवाब का इंतज़ार किया
बस सवाल सुनते रहे
मगर अब लगता है
कुछ सवाल किया जाए...-
सबसे मुश्किल है
ए कदम उठाने में
इसी लिए दूर जा रहा हूं
अब पास जाने में डर लगता है
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ए कुछ पर्वत है
जिन्हें मिलाना चाहते है
ए एक दरिया है
जो उन्हें जुदा करना चाहता है-
हम ही थे
जो गुलाब से कांटे निकाल कर देते थे
बारी हमारी क्या आई
कांटे मिलने लगे-
मुझे ज़रूरत नहीं
जितनी पहले होती थी
अब यादें काफ़ी है
तुझे याद करने के लिए...-
मैं यूँही शरमाता रहा
महोब्बत यूँही जाती रही
वो यही फूल है
जो मेरे होतो होना था
आज मैंने किसिके
घर में देखा है
नदी तालाब को मिल जाती
तो अच्छा होता
समुंदर में क्या मिली
मिठा होना भूल गई
- Avinash Chavan
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