आज मैं अकेला हूँ, अकेले रहा नहीं जाता
जीवन मिला है यह, रतन मिला है यह
फूल में मिला है यह धूल में मिला है यह
मोल तोल इसका अकेले कहा नहीं जाता
आज मैं अकेला हूँ, अकेले रहा नहीं जाता-
7 JUN 2020 AT 22:44
18 JAN 2020 AT 11:24
और, थोड़ा और, आओ पास
मत कहो अपना कठिन इतिहास
मत सुनो अनुरोध, बस चुप रहो
कहेंगे सब कुछ तुम्हारे श्वास
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30 JUN 2020 AT 9:06
यों ही कुछ मुसकाकर तुमने, परिचय की वह गाँठ लगा दी
था पथ पर मैं भूला भूला, फूल उपेक्षित कोई फूला
जाने कौन लहर थी उस दिन
तुमने अपनी याद जगा दी।
कभी कभी यों हो जाता है, गीत कहीं कोई गाता है
गूंज किसी उर में उठती है
तुमने वही धार उमगा दी।
परिचय की वह गाँठ लगा दी।-
11 OCT 2020 AT 10:54
त्रिलोचन शास्त्री हिंदी के किंवदन्ती पुरुष हैं, और इनके क़िस्से कवि केदारनाथ सिंह और लेखक काशीनाथ सिंह बड़ा आनंद लेकर सुनाते थे, बिल्कुल रस घोल घोलकर...
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8 JUN 2020 AT 0:42
जीबन है जीना चाहता हूँ जी लेता हूँ
फूल सी जीबन है धूल में भी जीबन है
मोल भाऊ प्यार में किया नहीं जाता
अकेला हूँ, अकेला रहा नेहीं जाता ।-
17 AUG 2021 AT 23:13
अखिल निरंजन भव भय भंजन
सज्जन रंजन दुष्ट निकंदन।
शोक रोग हर संकट मोचन
जपे हृदय हरदम त्रिलोचन।।-