यह एक खेल हैं अपनी प्रदर्शनी देखने का।
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उम्र ने की है सुकून से छेड़–छाड़
खेल कूद वाला रविवार अब फिक्र में गुजरता है-
खेलते कूदते उम्र को
खड़ा कर देती हैं
जिम्मेवारियाँ अक्सर
बड़ा कर देती हैं.
✍️--" विशाल नारायण "
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जब बच्चों को स्कूल की यूनिफॉर्म,
में स्कूल जाते देखती हूं मैं जब,
बचपन की स्कूल के दिनों की यादें,
फिर से जी उठती हैं तब,
वो शिक्षकों का प्रोत्साहन देना,
कभी मेरी गलतियों पर डांटना,
बहुत याद आता है मुझे तब,
हां डांट मैंने भी खायी है,
पर खायी है बहुत कम,
खूब सारा पढ़ना,अच्छे अंक पाना,
बस यही होता था लक्ष्य तब,
बस किताबों से और खेलकूद में ही,
पूरा दिन बीत जाता था तब,
दोस्तों से दिल खोलकर बातें करना,
छोटी- छोटी बातों पर लड़ना-झगड़ना,
वो एक - दूसरे को चिढाना,
सच में बहुत याद आता है अब।
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कहा गया वो बचपन......
जब बच्चे मैदानों में खेला करते थे
अब तो मोबाइल के डिस्प्ले ही
उनकी खेल की मैदान है😢
बहुत बुरा लगता है बच्चो तुम्हारे लिए
तुमने अपना बचपन खो दिया-
ये सिलसिला कोलाब का
यूंही चलता रहेगा,
खेल कूद में इक दूसरे का
लिखना तराशा जायेगा💎।-
वो भी क्या दिन थे,"जब हम छोटे थे"किसी चीज की टेंशन हीं नही आज इतने बड़े हो गए हैं ,कि आज का टेंशन तो है ही अौर कल का भी✍️✍️✍️....
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खेलकूद
खेलकूद से शरीर में ,स्फूर्ति भर आता है।
मन आनंदित होता है और आलस्य चला जाता है।
व्यायाम होता है शरीर का, चंचल मन हो जाता है।
सकारात्मक सोच है आता ,तन ऊर्जा से भर जाता है।
खेलकूद सबके मन को, ऐसे तो भाता है।
फूलों की बगिया देखकर, जैसे मन प्रसन्न हो जाता है।
पढ़ाई के साथ- साथ जीवन में,खेलकूद भी है ज़रूरी।
खेलों हेमशा पूरे मन से, न जबरदस्ती हो न हो कोई मज़बूरी।
अच्छे खेल से भी मिलता है, तरक्की और मान सम्मान।
शरीर स्वस्थ रहता हैऔर पढ़ाई में भी लगता है ध्यान।
सरला घृतलहरे
मुंगेली (छ. ग.)
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शिक्षक नमन
खेल कूद के साथ पिला दी सीख सारी,
बाल वर्ग शिक्षिकाएं रहीं सबसे न्यारी,
जैसे ही स्कूल में कदम बढ़ाया,
साथ में सख्त अनुशासन का डंडा आया,
कॉलेज की जोश भरी मौज मस्ती में,
शिक्षक समाते गए महद् नेपथ्य में,
आरंभ हुआ स्वर्णिम दौर,
सपनों से आँख मिचौली का,
सिखाये सबक असंख्य अदृश्य गुरुओं ने,
समझ आने लगा मोल,
मात पिता से मिली सीख का,
नम्र नमन हर रुप में अवतरित शिक्षक को...-
गरीब की औलाद हूँ नवाबी नहीं आती।
बातें करना भी मुझे किताबी नहीं आती।
मिट्टी में खेलकूद कर बड़ा हुआ इसलिए -
चाल ढाल में शाही रुआबी नहीं आती।
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