पानी की चादर, जलधाराओं के ताने-बाने, चट्टानों का करघा ! ऐसी चादर तो बस नर्मदा ही बुन सकती है और ऐसी चादर तो बस धरती ही ओढ़ सकती है।
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मां रेवा जेहि मन बसे, मुख पर हो ओंकार।
दुख कलेश मन से मिटे, सकल स्वप्न साकार।-
मेरे भोले भंडारी श्री ओंकारेश्वर देव
किस का गर्व धरु ना कुछ मेरा हैं
कैसा गुमान करू
मुझ को तो गर्व एक अपने बाबा का
कुछ भक्त होने का कर्म करू
बाबा मेरा पर रहबर
बाबा ही मेरे सब
बाबा ही मेरी ज़िन्दगी
चाहे कोई कुछ भी बोले
बाबा मेरा खेवनहार हैं
क्या मैं, क्या जग..
प्रभु सारे जगत के पालनहार
ॐ ह्रीं नम: शिवाय जय हो हर हर महादेव
श्री एकलिंग जी महाराज
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मैं ही आरंभ आदि का नाद हूँ,
मैं ही अन्तन्त, अंत का नाद हूँ,
मैं ही जीवन का नाद हूँ,
मैं ही मृत्यु का नाद हूँ,
मैं ही प्रकृति का नाद हूँ,
मैं ही ब्रमांड का नाद हूँ,
मैं ही ब्रम्हा,
मैं ही विष्णु, तो
मैं ही महेश हूँ,
मैं केवल देव नहीं,
मैं देवों का देव महादेव हूँ..
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बस एक तुम हाथ थामे रहना महादेव...❤️🔱
मैं कभी नहीं पूछूंगी के जाना कहां है...🙂-
मेरे भोले भंडारी
मेरे बाबा एक आरज़ू मेरी,
एक चाहत आपके
चरणों के ध्यान की,
एक इस जीवन की तमन्ना मेरी,
एक उल्फत आपके सुमिरन की
कबुल करो प्रार्थना नादान की,
एक बस इन्तहा मोहब्बत आपकी,
बाबा बस आप से
आप तक है दुनिया मेरी,
हे मेरे अनन्त अंतर्यामी कृपानिधान..
ॐ ह्रीं नम: शिवाय
जय हो हर हर महादेव
श्री एकलिंग जी महाराज..
🙏🏻🌺🐦🌺🙏🏻-
तू ही अराधना,
तू ही साधना,
तू ही इबादत,
तू ही सिद्धत,
तुझ बिन मैं कुछ भी नही,
तुम देवों के देव, तुम महादेव,,
जय महाकाल🙏🙏🙏-