QUOTES ON #आदिवासी

#आदिवासी quotes

Trending | Latest
19 APR 2020 AT 9:10

बाबा!
मुझे उतनी दूर मत ब्याहना
जहाँ मुझसे मिलने जाने ख़ातिर
घर की बकरियाँ बेचनी पड़े तुम्हे

मत ब्याहना उस देश में
जहाँ आदमी से ज़्यादा
ईश्वर बसते हों

जंगल नदी पहाड़ नहीं हों जहाँ
वहाँ मत कर आना मेरा लगन

-


15 DEC 2020 AT 19:37

बाबा चुनना वर ऐसा
जो बजाता हो
बाँसुरी सुरीली
और ढोल-मांदर बजाने में हो पारंगत
बसंत के दिनों में
ला सके जो रोज़
मेरे जूड़े की ख़ातिर पलाश के फूल
जिससे खाया नहीं जाए
मेरे भूखे रहने पर
उसी से ब्याहना मुझे

-



🍀🌺🍀विश्व आदिवासी दिवस पर शुभकामनायें!!🍀🌺🍀

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासी समाज के अधिकारों, आवश्यकताओं, उत्थान और प्राकृतिक संसाधनों पर उनके हक़ के बारे में विचार करने की आवश्यकता है।
किसी भी देश या राज्य के लिए उसकी जनजाति एक विशेष पहचान बनती है और अहम् स्थान रखती है। इनके अधिकारों के संरक्षण तथा इनकी संस्कृति एवं जीवनयापन के अनूठे तरीकों के संरक्षण हेतु सहयोग की जरूरत है।
आदिवासी समाज की समस्याओं के निराकरण के लिए इस दिवस को एक अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए।

-



आज मेरी पिन📌पोस्ट को लगभग 45+ मित्रों द्वारा शेयर किया गया!!
बागी जी खुश हुए की लोगों को ये पसंद आई!!😘😘😘😅😅😜😜😜😃😃

जय जोहार!! जय आदिवासी!! जय प्रकृति!!
🌷🌼🌲🌻🌾🌾🌳🌳🌴🌴🌺🌺🌻🌲🌼🌷

-



9 August commemorates the International Day of the World’s Indigenous Peoples. It is celebrated around the world and marks the date of the inaugural session of the Working Group on Indigenous Populations at the United Nations in 1982.

-


28 DEC 2021 AT 9:56

शिव तुम बनवासी, नहीं आई तुम में
नगर की चालाकी, रहे तुम आदिवासी

-


9 JUN 2021 AT 11:24

जयंती, बिरसा मुंडा
भगवान बिरसा मुंडा जी का
आदर्शपूर्ण जीवन संघर्ष, शौर्य
और पराक्रम का प्रतीक है
उन्होंने निस्वार्थ भाव से
आदिवासी समाज के
सशक्तिकरण के लिए काम
कर समाज को एक नई दिशा
दिखाई और अपने क्रांतिकारी
सोच से अंग्रेजों के विरुद्ध
मोर्चा भी संभाला ।।
ऐसे महान देशभक्त की जयंती
पर उन्हें शत शत नमन करता हूंँ।। 🙏🙏

-


18 MAR 2019 AT 19:42

मेरे जंगल को शहर बना दिया
मेरे 'खलिहान' को दफ्तर बना दिया
'शकुवा' के पेड़ देखते रहे हम
मेरे आशा की लहर को अंगूँठा बना दिया ।
'मुआवजा' क्या है हमें पता नहीं
क्या हाथों में रसीद थमा दिया
उन 'परिन्दों' से साथ छूटा जो घर आते थे कभी
चिंता है 'गौरईया' भी दूर हो गयी ।
हस्तक्षेप का कलश रख धकेला गया
तालियाँ बजी वन धकेला गया
त्राहि त्राहि 'स्वर' गूँजता रहा
वह 'पीला रसीद' धरा ही रह गया ।(आदिवासी कविता)

-


5 JUL 2019 AT 19:14

वृक्ष नये नये है जो
उनको आभास है वक्त का
उनके पहले के साथी मार दिये गये है
ये कहानी आकाश बूंदों संग कह गया
सूखी डाल,गर्म भू -चाल,आम जरुरते
पक्षी भी संसाधन अत्र तत्र ढूँढ़ते
आदिवासी की छत स्नेह और प्यारी
वे जितना लेते,उतना लौटा देते
झोपड़ा कहो,कहो गँवार,बुझा सितार
हमारे मुख और कर्त्तव्य में देव वाणी है
चखो स्वाद अमृत का,क्या रखा मीनारों में
लौट आओगे एक दिन तुम देखना इन्हीं किनारों में **

-


8 MAY 2020 AT 0:15

"यदि जंगल को दिल मानें, तो उसकी धड़कन आदिवासी हैं" : ब्रिजेश भुसारा

-