आदिवासियों के अशिक्षित होने के कारण आदिवासी बोलियां संरक्षित हो रही हैं!
बाकी पढ़े-लिखे आदिवासियों को अपने गाँव में भी अपनी बोली में बात करने में शर्म आती है!!-
मैं अकेला अपने "आदिवासी समाज" को जागरूक करते हुए भी उनमें बदलाव नही ला सकता हूँ परंतु जब "मैं" और "आप" दोनों मिलकर "हम" बन जाए तो यह सच है, कि हमें कोई रोक नही सकता।
सभी सक्रिय साथियों को "जोहार"🏹💚🌿-
"आदिवासियों ने अपने सुख,शांति, समृद्धि, विकास के लिए कोई भी धर्म (हिंदू, ख्रिस्ती,बौद्ध, मुस्लिम) अपनाया हो लेकिन अपनी मूल संस्कृति और आदिवासियत (रीति,रिवाज,परंपरा,भाषा,बोली) को नहीं छोड़ना चाहिए। अगर आदिवासी आदिवासियत को भूल गया या फिर छोड़ दिया तो, उनका अंत नजदीक ही है, ये चीजें आदिवासी को अच्छे से समझ लेना चाहिए।"
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आदिवासी के रीति रिवाज परंपरा बोली (आदिवासियत) आदिवासी जिंदा नहीं रखेगा तो कोन रखेगा?
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"केवल आदिवासी ही इस बात को समझते हैं कि प्राकृतिक जंगल उगाये नहीं जा सकते"
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ये जंगल ये पहाड़ हमारी पुरखो की देन है इसी प्रकृति को हमे आने वाली पीढ़ी के लिए बचाना है🌿🏞️🍀🌳
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आदिवासी कभी शेर से नही डरता लेकिन कायदे,कानून से डरता है. लेकिन, जिस दिन आदिवासियों ने कायदे,कानून का सही ज्ञान ले लेंगे उस दिन के बाद आदिवासियों को कोई दबा नहीं सकेगा : ब्रिजेश भुसारा
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