मुझे इक साँस भर के खींच लो
मुझे इक साँस भर के छोड़ दो,
मुझमें समा जाओ बन के रूह सी तुम
मुझे जिस्म बनाकर ओढ़ लो,
चाहूँ के किसी बच्चे सा संभालो तुम मुझे
या रहूँ तेरे हाथों में खिलौनें सा,
जैसे चाहो मुझसे खेलो तुम
जब चाहे मुझको तोड़ दो,
ज़िन्दगी के कहाँ हैं सीधे रास्ते
इक पगडंडी पे बच-बच के चलना है,
चढ़ना-उतरना है औऱ बस है ही क्या
फिऱ आख़िर में इक टेढ़ा सा मोड़ लो,
ख़ुदा को याद करने के लिये
मंदिर-मस्ज़िद तक जाना जरूरी नहीं,
नतमस्तक हो जाओ दूर से ही तुम
औऱ दोनों हाथ जोड़ लो..!
-