बुलंदी पर मेरी पहचान आ जाये
हक़ीक़त में मेरा अरमान आ जाये
दफ़न हूँ मुद्दतों से मैं मेरे अंदर
चली आओ कि मुझमे जान आ जाये।।-
20 DEC 2018 AT 20:15
7 MAY 2018 AT 8:22
कहने को तो है बहुत पर वो कभी कहता नहीं
आज कल वो साथ अपने ही कभी रहता नही
अब तलक ईमान पर हर हाल में कायम रहा
'पुष्प' पी कर मैक़दा झूमा मगर बहका नहीं।।-
20 JUL 2020 AT 8:33
10 APR 2020 AT 10:46
मुक्तक
कमल नयनों में उन्होंने लगाया चोर के काजल ।
पहन कर आ गए जब सामने बजने लगी पायल ।
मुझे जिसने बनाया है दिवाना इन अदाओं से,
नजर मुझ पर पड़ी सम्हालने फ़िर वो लगे आँचल ।
अवधेश- 10042020-
7 JUL 2020 AT 5:53
क़तआ
मदद मज़लूम की करना ख़ुदा का काम है यारो ।
ख़ुशी बाँटो जहाँ में तुम यही पैग़ाम है यारो ।
मुहब्बत के लिये जीना मुहब्बत के लिये मरना,
ख़ुदा से हो मुहब्बत तो तुम्हारा नाम है यारो ।
अवधेश सक्सेना- 07072020-
1 APR 2020 AT 9:50
क़तआ
कभी मांगते थे मुझे तुम खुदा से ।
दुआ कर बचाते मुझे आपदा से ।
हुआ क्या तुम्हें ये कभी तो बताओ,
सफ़ीना यही पूछता नाख़ुदा से ।
अवधेश
01042020-