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तुम्हारे बग़ैर तो जैसे हर लम्हा वीरान है
जिन्दगी लगती अब कुछ पल की मेहमान है
तेरे शहर के तो बादल भी मुझे जानते थे
यहाँ का तो पूरा आसमाँ ही मुझसे अंजान है-
पहाड़ का हर कोना मेरे दिल में आकर बैठा है
हिमाचल की मोहब्बत को मैंने कुछ ऐसे समेटा है-
वहाँ का बिताया हुआ हर पल याद आ रहा
आज फिरसे एकबार हिमाचल याद आ रहा-
सबको उसकी आँखों का काज़ल अच्छा लगता है
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पर इस दिल को तो सिर्फ़ हिमाचल अच्छा लगता है-
सच कहूँ तो किसी मोहब्बत से कम नहीं है
ये हिमाचल भी किसी ज़न्नत से कम नहीं है-
अब सभी पंक्षियों के घर बदल गए
एक दूसरे से मिलने के अवसर बदल गए
ये राहें कल भी तन्हा थीं और आज भी
सफर वही रहा बस हमसफ़र बदल गए-
ये पहाड़,पर्वत,नीले आसमान
इन सबके आँचल में रहने दो
छोड़ो ये ज़न्नत-वन्नत की बातें
मुझे बस हिमाचल में रहने दो-
किसी और जगह न जाने की ख़्वाहिश
और दिल की सारी मन्नत छोड़कर आए हैं
लोग माँगते हैं दुआ ज़न्नत जाने की
और हम खुद ज़न्नत छोड़कर आए हैं-