जब- जब अंत था समझा
वो हुआ अनंत ।
वहीं से हुआ एक नव उदय
बनाता मार्ग सुखंत ।।
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17 APR 2022 AT 14:07
25 JUL 2020 AT 23:47
उन्मुक्त गगन के पंछी,
बचपन की यादों से जुड़े।
रिश्तों की डोर से निखरें,
सहसा नई उम्मीद जगे।।
मासूमियत चेहरे के पीछे,
कच्ची उम्र के क़दमों तले।
माता-पिता की गोद में बैठे,
हैं आसमां की ओर बढ़ते।।
नव किरणों सी रोशनी,
नए एहसासों को जगाये।
शिक्षा के उच्चतम स्तर पाने,
नवोदय विद्यालय में प्रवेश लिए।।
सीख मिली हो ऐसी,
जीवन की डोर को बाँधें।
नम्रता,ज्ञान जैसे अनेकों
शिक्षाओं का अध्ययन पाएँ।।
नवोदय की शिक्षा देश की
सर्वोत्तम उत्कृष्ट शिक्षाएँ।
जहाँ मिलीं हर बच्चों को
मुफ्त में जीवन की दिशाएँ।।
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