फिर से इश्क़ की दास्तान लिखने बैठा हूं टूटे हुए दिल को संभाल कर बैठा हूं होता जा रहा है किसी से इश्क हल्के हल्के सुनो टूटा ही सही फिर से दिल थाम के बैठा हूं
तलब लगी है मुझे कहीं भाग जाने की , खुद को छोड कर जमाने को जानने की .. भीड़ में कोई अपना चेहरा पहचान ने की, जो कंदा दे सिर को मेरे उसे अपना मानने की तलब लगी है मुझे कहीं दूर भाग जाने की....!!!