जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा सुन्दर नीलमणि मनोहर ना होता
ना ही अपनी बंसी से हमें मदहोश करता
ना ही अपनी लीलाओं से हमारा मन मोहता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा माखनचोर गिरिधर ना होता
ना ही वो माखन चुराता ना ही सखाओ संग खेल खेलता
ना ही वो गैया चराता ना ही वो गोवर्धन उठाता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा चित्तचोर गोपेश्वर ना होता
ना ही वो गोपिन को बुलाता ना ही कोई रास करता
राधा को पुकार कर वो कहाँ कोई महारास रचता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा विश्वरूपम योगेश्वर ना होता
ना ही महाभारत युद्ध मे वो पार्थसारथी बनता
ना ही वो संसार को गीता का उपदेश देता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा आनंदकंद अद्वैत ना होता
ना देवकी वसुदेव ना यशोदा नंदबाबा का साथ होता
ना ही 16108 रानियां होती ना ही सुदामा सा सखा होता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो यकीनन कोई और होता
लेकिन वो तुम जैसा मोरमुकुट धारी मुरलीधर ना होता
ना ही बांकी अदा दिखती ना ही वो सुन्दर चितवन होता
ना ही श्री वृंदावन धाम होता ना तो वंशीवट निधिवन होता
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जो तुम ना होते कृष्ण तो कोई और कौन होता ???-
खुद के दिल के हाल लिखते लिखते
कब तुम पर लिखने लगे पता ही ना लगा "कान्हा"
हाल बेहाल था तुमसे मुलाकात से पहले
कब रस बरसा दिया मेरे जीवन में पता ही ना लगा "कान्हा"
यूँ ही दर बदर ठोकर खाता था तेरी दीवानगी से पहले
कब आपने अपने सानिध्य में बुला लिया पता ही ना लगा "कान्हा"
दुनियावी मायाजाल में फंसा था जाने कब से
कब अपनी मोहिनी सूरत पर मुझे मोह लिया पता ही ना लगा "कान्हा"
तुम्हारी बातें करते तो थे पहले मगर
कब तुमसे बातें करने लगे पता ही ना लगा "कान्हा"
दुनिया तरस रही है जहाँ तुम्हे अपने ध्यान में लाने को
कब तुमने मुझपर कृपा बरसा दी पता ही ना लगा "कान्हा"
लोग मांगते रहें तुमसे मोक्ष के साधन
कब तुमने हमें अपने चरणों से लगा लिया पता ही ना लगा "कान्हा"-
देवकीनन्दन से कब यशोदानंदन बन गये पता ही न लगा
बालगोपाल से कब माखनचोर हो गये पता ही न लगा
मैया को रिझाते रिझाते कब गोपियों को रिझाने लगे पता ही न लगा
गैया को चराते चराते कब राधा जी को चाहने लगे पता ही न लगा
मुरली बजाते बजाते कब गोवर्धन धारण कर बैठे पता ही न लगा
छोटे मोटे असुरों का संहार करते करते कब कंस का संहार कर दिया पता ही न लगा
मथुरा से गोकुल गोकुल से वृंदावन वृंदावन से कब मथुरा आ गये पता ही न लगा
मथुरा छोड़ कब द्वारका आ बसे पता ही न लगा
मुरली को छोड़ कब सुदर्शन धारण कर लिया पता ही न लगा
प्रेम की परिभाषा बताते बताते कब गीता का सार कह दिया पता ही न लगा-
कर्म होंगे कृतार्थ मेरे जब "यशोदानंदन" को हर पल ध्याएगा,
हृदय में राधा, मन में गोपी और व्यवहार मीरा सा बन जाएगा
जब एक राह "दयानिधि" की तू दिखलाएगी ए जिंदगी तुझसे भी इश्क़ हो जाएगा
जब तू "कान्हा" से मिलवाएगी तब ए मौत तुझसे भी इश्क़ हो ही जाएगा
मेरा तन "मुरलीधर" तुम्हारी मुरली की तान से हर्षित हो जाएगा
मेरा रोम रोम "राधेश्वर" तेरी महिमा गाएगा
मेरी जिव्हा "प्राणेश्वर" तेरे ही गुण गाएगी
मेरी आँखे हरदम "अनंता" तुम्हारी छवि निहारेगी
मेरी नस नस में "नंदगोपाल" तुम्हारे नाम की धारा बहेगी
मेरी रग रग राग बनकर "रासेश्वर" तुमको ही पुकारेगी
साँसो की सरगम "श्याम सुंदर" तेरा नाम गुनगुनाएगी
ललाट पर मेरे "ललित किशोर" नाम तेरा लिख जाएगी
गालों पर गोविन्द, ओष्ठों पर अच्युत, नासिका पर नंदनंदन को खिलखिलाएगी
तब तो आओगे ना "माधव" जब सर्वस्व न्यौछावर तुमको तन मन अर्पण कर जाऊंगी-
इजाजत वृंदावन से जाने की तो सबसे ले ली
मगर वृंदावन को स्वयं का स्वरुप दे दिया
हुई कृपा ठकुरानी जी की और नाम श्री जी ने अपना ही दे दिया
अब वृंदावन श्रीवृंदावन धाम ठाकुर ठकुरानी जी का निजधाम हो गया-
।। श्री कृष्ण की बाल लीला ।।
आज बिरझाए हैं बाल कन्हैया,
अपनी यशोमति मैय्या से ।
बिलखि कहें मैय्या से अपने,
मैं न चराऊँ तोरी गैय्या रे ।
मोहे बलदाऊ बहुत चिढ़ावत ,
गौऊवन के पीछे दौड़ावत ।
खुद तो कदम डारि चढ़ि बैठें,
ग्वालबाल संग देखि के मुसुकें ,
हारि गएंव बलभैय्या से ।
यशोमति की अँखियाँ भरि आईं,
बोलीं सुन मोरे लल्ला रे ।
ना जइयो तूं गैय्या चरावन ,
तोहे खिलाऊँगी मिसरी माखन ।
जो मोरे लल्ला को दुख पहुंचायो ,
पीटूंगी मैं उसे डंडे से ।
नन्दबाबा देखें यह लीला,
और खड़े मुसुकाय रहे ।
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"कृष्ण" की जान है "श्यामसुंदर" ही जिसकी पहचान है
"कृष्ण" की आराधना है "वासुदेव" की करती जो साधना है
दिन रात "गोपाल" को ध्याना जिसका काम है
शताक्षी उसका नाम है
प्यार से कान्हा को "दाऊ" बुलाती है
अपना बड़ा भाई "केशव" को मानती है
दुख में सुख में पुकारना जिसको "अच्युत" नाम है
शताक्षी उसका नाम है
रोज रोज "गोविन्द" जपे पल पल ध्याये "गिरधर" नाम
माला जपे "मुरलीधर" की लाड लड़ाएं "बालगोपाल"
"अनंता" "आंनद सागर" के जो गुण गाती सुबह शाम है
शताक्षी उसका नाम है
नस नस में "निरंजन" का नशा भरा "निर्गुण" नाम आधार है
"रूपमाधुरी ऐश्वर्य मदनमोहन" ही जिसके स्वप्न साकार है
"पद्मनाभ" "पद्महस्ता" "परब्रह्म" को जो करती रोजाना प्रणाम है
शताक्षी उसका नाम है
भाव में भर कर "पार्थसारथी" को सबको "अव्युक्ता" कराती है
"अचला" को विचारों में भर कर "यशोदानंदन" सा लाड लडाती है
"द्वारकाधीश" को शब्दों की माला पिरोना जिसका पहला काम है
शताक्षी उसका नाम है-
पूर्ण रूप विष्णु के अवतार कृष्ण बन आए
मथुरा में जन्मे जब देवकीनंदन कहलाए
मिला प्यार जब गोकुल में यशोदानदंन बन आए
नंदगाँव का लला वो तो माखनचोर कहलाए
चंचल अठखेलियों से वृंदावन में सबका मन मोह आए
मथुरा छोड़ जब कृष्ण आए तब राजधानी द्वारका बनाए
मोह लेकिन ब्रज का कृष्ण तनिक भी छोड़ नहीं पाए
हुई महाभारत जब कृष्ण पार्थ के सारथी बन आये
देकर गीता का उपदेश कृष्ण तब योगेश्वर कहलाए
राधा कृष्ण युगल स्वरूप में नित्यनिकुंज बिहारी कहलाए-
हे नटवर नागर हे कृष्ण मुरारी
तुम्हारी लीला सबसे न्यारी
तुम बाल रूप में लड्डू गोपाल
साक्ष्य जब दो तो साक्षी गोपाल
श्री हरिदास के बाँकेबिहारी लाल
श्री हितहरिवंश के राधावल्लभ लाल
श्री रूपगोस्वामी के गोविन्द लाल
श्री सनातनगोस्वामी के मदनमोहन लाल
श्री मधुगोस्वामी के गोपीनाथ
श्री गोपालभट्ट जी के राधारमण लाल
श्री हरिराम व्यास जी के युगलकिशोर लाल
रसिक संतो के रसिकशेखर निभृत निकुंज बिहारी लाल
श्रीधाम वृंदावन में स्थित ये सिद्ध विग्रह सात विराजमान
जो देखे अद्भुत छटा प्यारी श्यामा श्याम
छूट जाऐ भवबँधन रहें ना कुछ और ध्यान
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🙏हे कृष्ण 🙏
तुम कौन हो तुम क्या कर जाते हो
ब्रह्मा भी चकित शंकर जी अचम्भित हो जाते हो
देव ऋषि मुनि ज्ञानी तपस्वी भी तुम्हारा पार ना पाते हो
तुमने ब्रज में जो कारज किये उन्हे तुम भी भुला ना पाते हो
भक्तों के आधार तुम भक्तों के लिऐ ही अवतार ले आते हो
तुम्हारी लीलाओं के स्मरण से ही
जैसे हम कलयुग में भी मोक्ष पा जाते हो
केप्शन अवश्य पढ़े 🙏🙏
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