आज फिर यादें आयी नींदर रानी की लेके जमानत,
दिल औऱ दिमाग में मची तानाशाही ऐसे,जैसे हो युद्ध के सिपाही,
कुछ आँसू घायल हुए, थोड़ा वक़्त शहीद हुआ !!!
आसमान तो काला चश्मा पहने, देखता रहा सितम,
शिकायत करते सो गये हम ख्वाबो में ऐसे, जैसे हो छोटी बच्ची,
कुछ कर्ज़ चाँद ने चुकाया,थोड़ा फर्ज़ थकान ने निभाया !!!
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