मैं क्यों देखूँ?
अपनी जिन्दगी को,
तेरी नज़र से।-
कुछ वादें मुझे याद आते है
न बिछड़ेंगे कभी
वह शोर याद आते है
दिल के तहखाने में छुपे
स्मृतियों के खजाने याद आते है
रिश्तों के कश्मकश में फंसी
वह लोग मुझे याद आते है,
बन बैठे जो गैर बरसों से
उन अपनों के चेहरे याद आते है
मैं झूठी हूँ, झूठी सही
वह सच्चे लोग बहुत याद आते है..
(आगे अनुशीर्षक में)-
नर्म लफ्जों से भी अक्सर चोट लग जाती है,
रिश्तें निभाना बड़ा नाजुक सा हुनर होता है !!-
यूं अपनों की चापलूसी करना,
ये ज़माना चाहे करता होगा,
हमसे तो नहीं होगा,
यूं दोगलेपन का मुखौटा ओढ़ना,
ये ज़माना चाहे ओढ़ता होगा।-
ये हर नये आशिकों से
क्या तुम मुझे ऐसे ही रख पाओगे या
इसमें भी कोई मतलबी मिलावट करोगे,
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मैं डायबिटीज़ सा-प्यार करता हूँ उससे,
और वो बेवकूफ़ी की मिर्गी
समझकर दूर जाती रहती है मुझसे।
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तब तक रहेगा जब तक कि
एक लड़के की चाहत
किसी मातृत्व को तार-तार न करे,
और कोख में पल रहे नवजात का अस्तित्व
किसी को बोझिल न करे,,
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प्रेम हमेशा प्रेम का सम्मान करता है
खुद से अधिक सामने वाले की फिक्र करता है
प्रेम एक दिल का विशेष होता है-
हम बरसों से,
बस हमारी ही
हिम्मत न हुयी
उनको बताने की,
कि अब और साथ नहीं
दे सकती आपका
क्योंकि हमें नज़र
लग गई है जमाने की,-