तुम बिन ये शाम भी बेगाना है
तुम हो साथ तो दिल आशीकाना है-
दिल के अरमानों की महफ़िल सजा देती है ये शाम
इस हसीन शाम का हर पल किया तेरे नाम-
ये शाम हर शाम कुछ याद दिलाती है
तेरे पायल की छमछम अब भी सुनाई देती है-
वो सुखन साज़े मोहोब्बत हूँ जिसे वादे सुखन दाद दिल्ली और मदिने से दुआ आती हैं...
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मै एक अंधकार हूँ, मुझे उजाला पसंद नहीं... और आज़ भी मै आज़ मे नहीं कल मे ज़िता हूँ...
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इर्र्शाद!
ये सोच्ता हूँ कि चरागो का एह्तमाम करु, ये सोच्ता हूँ कि चिरागो का एह्त्माम करु हवा को भुख लगी है कुछ इन्तेज़ाम करु ...हर एक सान्स रगड़ खा रही है सिने मे हर एक सान्स रगड़ खा रही हैं सिने मे और आप कह्ती हो कि आहो पर काम करु....
....शुक्रिया....-
तु खुद कि खोज मे निकल, तु खुद कि खोज मे निकल
तु किस लिए हताश हैं तु चल तेरे वज़ुद को भी समय को तलाश हैं ज़ो तुजसे लिपटी बेड़ीया समझ न इसे वस्त्र तु अपने बेड़ीयो को निकाल के बना अपना शह्त्र तु ,तु खुद कि खोज मे निकल तु किस लिए हताश हैं
तु चल तेरे बज़ुद कि समय को भी तलाश हैं ...
चरित्र ज़ब पवित्र है तो क्यों ऎसी दशा तेरी,इन पापियो को हक़ नहीं कि ले परीक्षा तेरी,तु खुद कि खोज मे निकल तु किस लिए हताश हैं तु किस लिए हताश हैं..
ज़लाकर भस्म कर उसे ज़ो क्रुर्ता का ज़ाल हैं तु आर्ती कि लव नहीं तु क्रोध कि मशाल है,तु चल तु किस लिए हताश हैं,तेरे वज़ुद को भी समय की तलाश हैं ...-
एक ज़रिया कह लिजिये अपने शब्दो को कह्ने का !
मैं कवि नहीं हूँ मैं तो बस एक सोच हूँ ज़ो भी ❤ मे आता है वो बताने कि कोशिश करता हूं...-
तुमसे रूबरू होने को ये दिल इस कदर बेकरार हुए जा रहा है
कि सुबह को ये शाम के वहम से धक-धक किए जा रहा है।-