QUOTES ON #मेरीपरी

#मेरीपरी quotes

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16 OCT 2019 AT 19:13

ज़रूरी था वो फ़ासला, ये फैसला भी ज़रूरी था,
कम्बख़त कब तक मज़बूरियों का जनाजा सम्हालता,
कंधे दुखने लगे थे, सफ़र अकेला था मेरा,
वो थाम के हाथ किसी औऱ का मेरे साथ चल रही थी।।

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22 OCT 2020 AT 13:54


तेरी मुलाक़ात के किस्से
तारो के शहरों से बड़े है ..
जहां खामोशियां भी अपना बसेरा
हवा की रुखसत से मोड़ लेती है ..
क्या आसमां और क्या ज़मीन
नीले चादर ओढ़े रहती है ,
तेरे मशियत में शामिल
मेरी जान भी कुर्बान होने लगती है
वो दूर से आयी हुई परी
मेरे सपनों की रानी जैसी लगती है ..

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26 APR 2020 AT 17:09

अजीब कसमकस में गुजरी थी रात,
करबटे बदल-बदल के सोया मैं,
बिस्तर में चारो ओर फैली है सिलबटे,
मैली कुचली सी जमीं पे पड़ी है चादर,
वो तकिया लुढ़क के दूर जा गिरा था,
अजीब कसमकस में गुजरी थी रात,
करबटे बदल-बदल के सोया मैं।।
वो पुकारती रही, चीख रहा था सन्नाटा दूर से कहीं,
हवाऐं बेचैन थी, वो मंजर तकलीफ दे रहा था,
फिर सुबह हुई तो तसल्ली हुआ की ख्याब थी वो,
वहम अजीब है मेरा, सोने नही देता, आँखं खुलती नही,
आँखों का गड्ढा बताता है की नींद नही आयी थी,
बदन टूट रहा है गले से आवाज़ नही निकलती,
चेहरे पे कुछ बूंदे पड़ी है ओश की,
नमकीन स्वाद है इसका,
चांदनी आयी थी कल रात चुम के गयी है माथा मेरा,
उसके आंखों का पानी टपक के चेहरे पे आ बैठा है,
अजीब कसमकस में गुजरी थी रात,
करबटे बदल-बदल के सोया मै।।

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6 JUL 2020 AT 20:39

भूल रहा हूँ तुझको,
बहुत धीरे, आहिस्ता आहिस्ता,
पर हाँ ! अब भूल रहा हुँ तुझको।।

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24 AUG 2020 AT 22:13

लिखा था उस रात खून से भी चिठियाँ तुझको,
ऐसा नही कि पेन नही था,
बस दिल टूटा था तो लहु जाया न हो सो लिख दिया,
अफ़सोस तूझे भेजा नही कभी,
दर्द बहुत था ना तो ज़्यादा लिख नही पाया|
एक तस्बीर बस बनी थी तेरी,
कुछ बूंदे अब भी बिखरी है सूखी सी वहाँ!
वो पन्ना सलामत रखा है मैंने,
तूम आना तो लेजाना अमानत तेरी।।

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18 JUN 2020 AT 22:06

हाँ तभी एक और ख्याल आता है ज़ेहन मे,
की कहीं उसने पिंजड़ा टूटते हीं
तुम्हे देख कर नज़रे घुमा ली तो, तो क्या होगा।
अब, अब पिंजड़ा नही टूटता, अब टूटते हो तुम !
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14 NOV 2019 AT 20:40

"परी औऱ मेरा अनुभव"

मोहब्बत हुई थी उनसे तो ये अनुभव हुआ
कि उनके बाद अब कोई अनुभव मायने नही रखता
बहुत सी चाहतें सवरती थी दिल में मेरे भी
पर अब कोई ख्वाहिशें मायने नही रखता
उनके जाने से कुछ अधूरा बाकी है इसकदर मुझमें
कि अब पूरी हो दास्ताँ कोई ये मायने नही रखता

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11 JUN 2020 AT 21:10

मिलो फिर एकबार तुम राहो में कहीं,
तुम्हे उन्ही रास्तो पे ले चलूं,
जहाँ चला था मै अकेले तेरे साथ,
और आज भी चल रहा हूँ तेरे बगैर।।

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22 SEP 2019 AT 13:27

मन आँगन को महकाती हैं।
घर की रौनक बढ़ाती हैं।
एक नहीं दो घरों की कहलाती हैं।
बेटियाँ भी कितनी जल्दी बड़ी हो जाती हैं।।

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2 JAN 2020 AT 21:45

ख़ुदा कि इबादत में तेरी मोहब्बत थी,
तुझसे मोहब्बत में था मेरा ख़ुदा!
जाने कौन रूठ गया है मुझसे...
@मेरी परी@

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