जब हम आशिकों की महफ़िलों में जाते है,,
तो अक्सर महफ़िलों में चर्चे उनके ही बारे मे होते है!!-
मैने उन महफ़िलों में जाना छोड़ दिया।
जिन महफ़िलों में तेरा आना नहीं।-
शीर्षक-- **चले जाओ मेरे ख्वाबों ख्यालों**
अकेलेपन को मैं...कब तक यूं बांटू ,
मुझे भी तो महफ़िलों में..बुला लो ।
हकीकत से मुझे रूबरू होने दो ,
चले जाओ मेरे...ख्वाबों खयालों ।
अजब अंधकार में दौड़ती है जिंदगानी ,
फिनिश लाइन पे कुछ...प्रकाश डालो ।
पहुंच जाऊं...उसे छूकर मैं भी तो देखूं ,
सफल हो या ना हो..परिणाम निकालो ।
पथिक ही रह गई मैं चलती जाऊं ,
अरे ओ मील के पत्थर ! बिठा लो ।
बनाऊं कब तलक चलने को रस्ते ,
कोई तो दूसरा रस्ता निकालो ।
मेरा तो काम बस..लिखते ही जाना ,
जरा पढ़ लो.. मसलकर यूं ना डालो ।
मेरे ख्यालों में..ये भी एक ख्याल आया ,
परेशान हूं मैं..ये मतलब ना निकालो..!!-
जब था सब कुछ मेरे पास,
महफ़िलो की चकाचौंध में थी बदहवास !
ठोकरे लगी जब जमाने भर कि, तब आया यह एहसास,
कि बस किसी को सिर्फ पा लेना ही मुकद्दर नहीं !!-