Anupama Sharma   (AnuWrites)
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बेबाक हूं मैं #बेबाकबातें
Joined 25 January 2023


बेबाक हूं मैं #बेबाकबातें
Joined 25 January 2023
21 JUN AT 10:10

बेहतर जीने की चाहत रखना
अपने मन से सदा बगावत रखना
आरामतलब मत होना कभी भी जीवन में....
नकारात्मक भावनाओं से अदावत रखना।

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20 JUN AT 9:25

मन ने हिम्मत नही हारी है
मुश्किल से लड़ने की तैयारी है
जब तक रहेगा दम में दम
तब तक सीखना जारी है ।

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24 MAR AT 8:41

सुबह की धूप खिली
अलसाई आंखें खुली
फिर जाग गई नई आशाएं
जिंदगी एक और दिन मिली ।

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8 MAR AT 13:21

कभी विचरती हुई नदियां
कभी सरोवर हूं।
मैं स्त्री इस धरती की
धरोहर हूं ।

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28 FEB AT 8:37

दृढ़ता से जो चाहो पाओ
हार ना मानो विकल्प ना ढूंढो
सुविधा क्षेत्र से बाहर आओ ।
वर्तमान की राह को चुनकर
अपना भविष्य उज्जवल बनाओ

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26 FEB AT 15:09

जो तुम समझ रहे हो ।



जो तुम नहीं समझ रहे हो।

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20 FEB AT 9:52

पुरानी साईकिल आज बाहर निकाल ली है
धूल जम रही थी सब झाड़ दी है

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6 FEB AT 8:50

संघर्ष ही जीत की कुंजी है
संयम से तू आगे बढ़ता जा
धैर्यपूर्वक मेहनत करते जाना
मेहनत इस जीवन की सच्ची पूंजी है

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28 JAN AT 9:53

ज़रा सा क़तरा कहीं आज अगर उभरता है
समुंदरों ही के लहजे में बात करता है

खुली छतों के दिए कब के बुझ गए होते
कोई तो है जो हवाओं के पर कतरता है

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है

ये देखना है कि सहरा भी है समुंदर भी
वो मेरी तिश्ना-लबी किस के नाम करता है

तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें हों
ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है

ज़मीं की कैसी वकालत हो फिर नहीं चलती
जब आसमाँ से कोई फ़ैसला उतरता है

वसीम बरेलवी

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8 JAN AT 8:16

इंसान का इंसान से
यही से शुरू है आकर्षण।
व्यवहार से हो जाता है
रिश्तों का पंजीकरण ।
हंसी खुशी से महका करे,
घर-संसार और वातावरण ।
सुसंस्कार और रीति-रिवाजों का
करते रहो तुम अनुसरण।
संगठित समाज बनाने का
यही है सही व्याकरण ।

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