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तन की सुंदरता क्षणिक है
साँसों का खेला है क्षणिक
जीवन क्षणभंगुर है यारों
फिर है गर्व किस बात का
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छुप नहीं सकते तुम मेरी निगाहों से
तसल्ली से पढ़ा है हमने
तेरे दिल के एहसासों को
लाख कोशिशें कर लो तुम
दर्द को हँसी मे छुपाने की
पारखी निगाहें हमारी पढ़ ही लेंगी
तुम्हारे दिल के आलम को-
जो दिल में है कैसे कहूँ ,
शब्द दे गए दगा मुझे !
पलकें जरा सी भी,
उठती नहीं ..
आए शर्म ओ हया मुझे !
जुबां हो गई है अब मौन,
मैं कैसे बताऊँ आपको ,
हम आपके हैं कौन !!-
अफ़सुर्दा दिल की बात हम कह न सके
पलकों की दहलीज़ पर ठहरे आँसू बह न सके-
नहीं कुसूर हमारा इसमे!
ये गुस्ताखी है मौसम की!!
बिन पिए नशा हो जाता है!
जब सामने वो आ जाता है!!
देखकर उसकी शरबती आँखें!
दिल मेरा बहक सा जाता है!!
ऐसे मे सावन का आना!
मदहोश मुझे कर जाता है!!
बरसती बूँदों मे मयूरी सा उसका थिरकना!
मेरा सुख चैन गंवाता है!!
ऐ मालिक तेरी इस रचना पर!
दिल बस मे नहीं रह पाता है!!-
आओ मिलकर साथ निभाएं
जीवन नैय्या को पार लगाएं
सुख दुःख की भँवर मे उलझी
गृहस्थी की नैय्या पार लगाएं-
जब सांझ ढले सूरज उतरता है,
दरिया मे स्नान को,
दिन भर की थकन उतार अवतरित होता है,
रुप बदल धीरे से चुपके से,
लाल चोले की जगह पहनता है धवल वस्त्र।
थकन मिटा धरता है एक अलग भेष,
रुपवती यौवना का जो निकली है शिकार को।
सहेजे है खुद को सफेद साड़ी मे,
करने को घायल किसी कवि या दिलजले के मन को,
जिसकी रुठी हो प्रेमिका उसे छलने को।
अपने रुप लावण्य से लुभाने को,
सभी समझते चाँदनी जिसे वो,
गुजारेगी रात हर दिलजले के साथ।
देकर हसीन सिलवटें लौटेगी उसे नींद मे सुला,
सुबह को फिर से अरुणोदय की रश्मि बन।-
बाँधकर प्रीत की डोर से,
अपने दिल की पतंग!!
तेरे दिल के आसमां पर,
उड़ाने का इरादा है!!
ज़रा मौसम तो बतला दे,
वफाओं की फ़िज़ाओं का!!
बयारें हैं मोहब्बत की या,
फिर गमगीन नज़ारा है!!
तेरे दिल की सरज़मीं का,
सुना रंगीन नज़ारा है!!-