शाश्वत   (शाश्वत)
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Joined 17 August 2019


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Joined 17 August 2019
3 MAR 2023 AT 9:24

ज़रूरी तो नहीं हर लम्हे में तुम शामिल रहों।
और भी बहुत कुछ है जिन्दगी जीने के लिए।।

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28 APR 2022 AT 7:54

जिन्दगी को तेरी जरूरत बहुत है
तू दूर है बेशक पर मुहब्बत बहुत हैं।।

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25 APR 2022 AT 8:20

हरे शज़र न सही शुष्क घास रहने दो ।
जमीं के जिस्म पर कोई लिबास रहने दो ।।

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17 APR 2022 AT 10:32

मैं तुम्हें चाहूँ और तुम्हे गुमां भी न हो ।
फिर तो मेरी दीवानगी में ही कमी मानी जाएगी।।

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15 FEB 2022 AT 20:26

My eyes are enough ....
for you...
to fall in love with me— % &

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8 FEB 2022 AT 13:50

ये और बात है कि उसने निभाया ही नहीं
मगर वादे, बड़े गजब के किए थे उसने.......— % &

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7 FEB 2022 AT 14:07

ए खुदा बस कर कितना कहर बरसायेगा ,
माना बनती नहीं तेरी मेरे किरदार से ........
बेगुनाह होकर भी और कितनी सजा सुनायेगा— % &

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20 JAN 2022 AT 12:31

खत्म ना होगी कभी यह मोहब्बत मेरी ,
मेरे बाद भी मौजूद जहाँ में मेरा किस्सा रहेगा.....
बेशक तू रहे किसी भी दुनिया में ...
पर तू मेरे वजूद का ही हिस्सा रहेगा...


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8 JAN 2022 AT 21:50

गजब का सुकून है इन लम्हों में भी ,
जब हम बातें करते खुद से ही ,खामोशियों में भी ।

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8 DEC 2021 AT 16:40

तू मेरे साथ नहीं है ,पर अक्स तेरा मेरी आंखों में है!
बेशक तू कहीं और सही, पर तू धड़क रहा मेरी सांसों में है!!
तेरी फिक्र, तेरा साथ , तेरी याद ,और तेरी बातें !
इनका अब जिक्र नहीं करती ,पर तेरा वजूद अब भी मेरे अल्फाजों में है!!

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