जो अंतर लाभ और शुभ लाभ में है,
वही अंतर प्यार और सच्चे प्यार में है!
-
2 JUN 2022 AT 21:22
प्रेम एक ऐसा ऋण है
जिसे कोई सदियों-युगों में भी चुका नहीं सकता।
~ बृजेश मेहता
..-
15 MAY 2022 AT 8:12
घरों की चार दीवारी में
दुश्मन बनने से लाख गुना अच्छा है
चलो अजनबी बन जाएं
.-
22 APR 2022 AT 10:20
उनके प्रेम में स्नेह था, अनुराग था,
मेरे प्रेम में सिर्फ स्वार्थ, वासना थी।
मेरा प्रेम मर्त्य था, नश्वर था,
मगर उन्हें ना जाने क्यूं "अमर प्रेम" करना था।
उनकी चाहत ही असंभव की थी,
मैं औसत दर्जे का आदमी फिर करता तो क्या करता?
कितनी भिन्न-भिन्न चाहत थी हमारी
फिर अंतर्द्वंद ना होता तो क्या होता-
26 MAY 2022 AT 14:03
उसको देखा नहीं कभी,
पर उसकी तस्वीर अक्सर देखता हूं।
उससे रूबरू नहीं हुआ कभी,
पर उसकी आवाज लाखों में पहचानता हूं।
उसको छुआ नहीं कभी,
पर उसकी रूह में कब से रमा हुआ हूं।
-