बाबुल के घर से चली पिया के घर को, अरमानों की डोली कहारो के कंधे पर!
गुनगुनाते, बतियाने का जिम्मा, दुल्हन हो जाये ना उदास, कहार के कंधे पर!
रानी की तफरीह, राजा का सैर, तो भी तलवार लटकी रहती कहारो के कंधे पर!
महाकाल का भ्रमण, माँ दुर्गा का विसर्जन, ये भी जिम्मेदारी, कहारों के कंधे पर!
छिल जाए कंधे, थक जाए चाहे पांव,पर रुकने पर खैर नहीं, कहारों के कंधे पर!
कुछ इनाम का लालच, कुछ वारी की उम्मीद, चलता है घर, कहारों के कंधे पर!
लूट गई अगर डोली, भूले अगर रास्ते, बेवजह की शामत, कहारों के कंधे पर!
रस्मों की दुहाई, परम्परा के नाम पर, कब तक होगा शोषण, कहारों के कंधे पर!
सर्दी, गर्मी, बारिश, हो चाहे पतझड़, कब आएगा सावन, कहारों के कंधे पर!
_राज सोनी-
बाबुल, ना बांध मुझे इस रीति की डोरी में।
मुझे अभी नहीं निभानी आती प्रीति।
माना हो गई हूं मैं सयानी,पर नहीं आती मुझे प्रीत निभानी।
माना हो गई है, उमर बाली मेरी, पर समझ नहीं है रीति की।
बाबुल ना कर तू ज़िद, अभी है मुझमें हिम्मत कुछ कर दिखाने की।
ना समझ हूं,पर है थोड़ी समझ बाकी, पहले खड़े हो लेने दो अपने पैरों पर मुझे, काबिल बन जाऊ मैं भी।।
हैं कसम तेरे सर को झुकने ना दूंगी, किसी और को शामिल होने ना दूंगी
मुझे उड़ने दो, अभी मेरे पंखों मैं है, जान बाक़ी।
मिल जाने दो पहले मंज़िल मेरी, नाम से तेरे मैं जानी जाऊ।
बस यही है तमन्ना मेरी, मेरे नाम के साथ D/O हो तेरा।
ना होने दो किसी और को शामिल।🙏🏻-
छोटी सी जिन्दगी लाखों फसाने है।
जो नहीं समझता लोग उसी के दीवाने है।।-
मंज़िल थोड़ी दूर है, हौसला मुझमें बाकी है।
ना छोडूंगी आस मैं, अभी मेरी सांस बाकी है।।
छूना है बुलंदियों की ऊंचाई को निडर मन से।
राह थोड़ी डगमगा रही है फिर भी हौसला मुझमें बाक़ी है।।-
बेटियां पराई होती है यह सोच कर ,
मुझे भुला देना मेरे बाबुल !
क्योंकि तेरी पिंजरे में रहने से ,
अब मेरा दम घुटता है ...
बड़े हौसलों से यह कदम बढ़ाया है...
तो मुझे जाने देना मेरे बाबुल!
जबरदस्ती के रिश्ते जहन्नुम होते हैं ,
उससे किसी का घर कहां बसता है ...
देखना कल मेरा दामन किसी गैर को ,
थमा मत देना मेरे बाबुल !
तुम ही सोच लो बंधे पैर से ,
पंछी कहां उड़ता है ...
मुझे गैर सोचकर मेरी सब ,
निशानियां मिटा देना मेरे बाबुल !
कोई आसमान में बस कर ,
धरती पर जिंदा ही कहां रहता है ...-
ढल जाते है हॅंसी शाम के भी रंग......
पड़ जाती है दरार घर की दीवार में भी।
तो इंसानों के बीच दरार पड़ना भी लाज़मी है।।-
नई सुबह नई किरण बिखेर रही है,
पर दिल में पुराने ख्याल ही बसे है।
एक तरफ चिड़ियों की चहक से मन में बेहद ख़ुशी है,
दूसरी ओर ख्यालों के बवंडर ने घनघोर अंधेरा बिखेरा है।।-
बाबुल 'बबुल'
सर चढ सुरज खुब जलाये,
पथ राहो मे शोले बिछाये।
बस एक बबुल ओर हे बाबुल,
तन मन को शितलता दिलाये।
कडु होते हे तरू इनके,
पर जब दर्द उठे तो दवा बन जाये।
ओर जहाँ तो आग लगाये,
बाबुल कडु बबुल शितल छाँव दिलाये।-