QUOTES ON #बाँवरा

#बाँवरा quotes

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3 JAN 2018 AT 13:15

बाँवरा ये माँ मेरा कभी अनुभवों में से अमृत ढूंढता है ,
तो कभी अमृत को निचोड़ के ज़हर ढूंढ़ता है ।

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11 MAR 2020 AT 12:07

प्यार उसी से किया था दीवाने बनकर
उसने मुझे छोड़ दिया परवाने बनकर
उसकी चाहत में रह गए है
अब हम मस्ताने बनकर

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1 APR 2019 AT 12:05

रात भर का वे शूना सफर,
और याद तेरी में यूं बीता।।

पल भर न पलक झपकती थी,
हर ख्वाब मेरे में प्रिय तू ही तो था।।

भोर हुई सूरज ने ली जब अंगड़ाई,
हर कली खिली मिलन आस लगाई।।

फिर पक्षी का कलरव गूँजा....,
सब की बोली में प्रिय तू ही तो था।।

कहीं साँवरे ,श्याम,कन्हैया,कहती थी,
सब की सांसें तेरे नाम से चलती थी।।

नन्हे हृदय को उनकी बोली भाती थी,
हर शब्द उनका तेरी याद दिलाती थी।।

रात भर का वे शूना शफर और याद तेरी..!
#बाँवरा"हृदय" #

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15 JAN 2020 AT 12:39

एक बार देवी सरस्वती ने भगवन कृष्ण से कहा
प्रभु मुझे अपनी दासी के रूप में स्वीकार करे
श्री कृष्ण ने मना कर दिया ,
सरस्वती कृष्ण से उपेछित हो,जड़ बांस बनी
और धुप बर्षा सर्दी गर्मी सभी सहने लगी
धीरे धीरे उन का ज्ञानाभिमान चला गया वे
स्वयं को भी भूल गई प्रेम में इतना समर्पण,
देख श्री कृष्ण से रहा न गया ,और उन्हें अपनी
वंशी बना लिया फिर न कभी अधरों से दूर किया
भक्ति में अकिंचन हो जाना सहजता ,
अपने प्रिय के प्रति विश्वाश, प्रति छण
प्रेम को बढ़ा देता है ...!!
#बाँवरा हृदय"

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9 MAR 2020 AT 18:44

होली में होली मैं
रंग अनेक होली में
इन रंगों से क्या रंगना
तेरे प्रेम के रंग होली मैं
सप्तरंगी चादर प्रेम की
प्रियतम ओढ़ के तेरी होली मैं
है रंगीन बसंती चहुं दिसि प्रेम में
ज्यूँ कलियाँ खिली हो बसन्त की झोली में
मंद सुगन्ध राग पराग प्रेम की होली ये
चंचल चित्त में प्रेम रंग बस गया होली में
छुटे ना कभी ये रंग कह दो रंगरेज से जा
ऐसी होली खेली न ना खेलूंगी अब तो हो ली मैं
बाँवरे के मीत प्रेम प्रतीति हो गयी अब की होली में
#बाँवरा"हृदय"

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26 SEP 2020 AT 14:49

ईश्वर मे ही सब का अंत करना एकांत है।
जीवन को ऐसे बनाओ की मृत्यु के समय परमात्मा ही याद आये,मानव जीवन की अंतिम परीक्षा मृत्यु है।
जिसकी मृत्यु सुधरी उसका जीवन ,उजागर हो जाता है।।

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2 MAY 2020 AT 17:45

#शिव के पांच कृत्य-"सृष्टि", "पालन",'संहार', 'तिरोभाव',और'अनुग्रह',
ये पाँच ही शिव के जगत संबंधी कार्य हैं,जो नित्य सिद्ध हैं
संसार की रचना जो आरम्भ है,उसी को सर्ग(सृष्टि)कहते हैं।
शिव से पालित हो सृष्टि का सुस्थिररूप से रहना ही उसकी
'स्थिति'है। प्राणों के उत्क्रमण को 'तिरोभाव'कहते हैं।
इन सब से छुटकारा मिल जाना ही शिव 'अनुग्रह' (मुक्ति)है
-शिवपुराण
#बाँवरा"हृदय"

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16 MAR 2019 AT 15:22

देवऋषि नारद जी !
भक्ति की व्याख्या करते हुवे कहते है!!


सा त्वस्मिन् परमप्रेमरूपा।।2।।
सा-वह ( भक्ति) परम् प्रेम रूप है।
सा कस्मै परमप्रेम रूपा-
वह भक्ति सम्पूर्ण सृष्टि विधायक परमानन्दस्वरूप
परमात्मा में परम प्रेम रूपा है।।
जैसे मनुष्य का रूप कला गोरा साँवला होता है
भक्ति का रूप प्रेम है!
क्यों कि चित्तका स्त्वाकार परिणाम
ईश्वर से युक्त होने को भक्ति कहते है।

अन्तःकरण तो एक है किन्तु देखना यह है
मिला किस से जैसे आँखें वही है,
देखने की क्रिया भी वही है, किन्तु पाप पुण्य
निर्भर उस पे है कि तुम देखते क्या हो
अन्तः करण में प्रेम किस से है परमात्मा से या नही
तुम्हारी तृप्ति किस से है तुम क्या पा के तृप्त होते हो
इस से पता लगेगा कि तुम्हारी प्रीति किस में है।।
संसार की कोई भी वस्तु सास्वत नही है ...!
जो नश्वर है वे प्रेम कैसा वे तो बाह्य आकर्षण मात्र है ।
क्यों कि, प्रेम किसी प्रकार घटता नही।
प्रियके प्रति रूक्षता नहीआती ।
पूर्णचन्द्र के समान परिपूर्ण होने पर भी,
प्रेम में कुछ वक्रता रहती है।
प्रेम नित्यनवीन रहता है कभी धूमिल नही होता
प्रेम में तृप्ति नही होती ,प्रेम में भय भी नही होता
भय और प्रेम एक ही अन्तःकरण में नही रह सकते.....!!

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14 MAR 2019 AT 18:53

मेरी बड़री आँखियो मे बसने वाले
कब तक मुझ को भरमायेगा.........!
तेरे खातिर हुई बाँवरी सब ध्यान बिसरी रे
तुझ को अपना कह के मैं खुद को भूली
तेरे चरणों की बंजाउ मैं तो प्यारे! धूली
मेरी बड़री आंखे डबराई सी झरती है
बिन घन ही बरषे बदली कुछ भूली हूँ
कोई और नही सांवरिया मैं तेरी मुरली हूँ
अधरन धर छू दे मुझे !
मिट जाए जन्मों का आना जाना
मेरी बड़री अँखियों मे बस तू रम जा न
#बाँवरा"हृदय" #

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21 JUN 2021 AT 8:04

कुछ तो हुआ
खिला बाँवरा मन
नैनो ने छुआ

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