बन दीपक जल अँधेरे में, जो मुझें रौशनी देता था।।
एक फ़रिश्ता ऐसा मैंने, अपने वालिद के रूप में देखा था।।-
पापा की याद!!!
लबों पे मुस्कान ले के आती हैं!!
और आंखों को नम कर के जाती हैं!-
आज मुझे मेरे पापा कि एक बात याद आ रही है
वो हमेशा कहते हैं,कि तुम इतनी भोली हो कि
तुमको सामने वाला बेवकूफ बनाएगा लेकिन तुमको पता तक नहीं चलेगा....
सच कहते है, "पापा"
🥀💔🥀-
गम की है कड़ी धूप...
खुशियों की नहीं मिल रही कहीं ठांव.....
आपके साथ ही मिलती थी मुझे सुकून की छांव....
कहां चले गए आप पापा....
बहुत याद आ रही है आपकी...😒
लौट आओ ना पापा...🥺🥺
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खुद को बहुत हिम्मत देने की पूरी कोशिश करती हूं पापा, फिर भी मैं weak पड़ जाती हूं, आप ही तो मेरी हिम्मत और ताकत थे, क्यों मुझे अकेला छोड़ गए पापा
Lots of miss you papa 😔😔😢😢-
सब कुछ ठीक तो चल रहा पापा,
लेकिन आप होते तो और भी बेहतर होता...!!-
अलफाजों में दम नहीं
कलम में वो ताकत नहीं
लिख दे कहानी जो पिता की
किसी के पास वो शब्द नहीं
पिता ही जीवन का आधार है
पिता से ही परिवार है
माना बेहिसाब है माँ का प्यार
पर पिता भी तो हमारा सारा संसार है
हमारा मान- सम्मान और अभिमान
सब पिता के कर्जदार है
जीवन में आँसुओं की कोई जगह नहीं
कहनेवाला पिता ही इकलौता हकदार है
अनु अग्रवाल
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😑😐''पापा'' जब तक आप साथ थे
तब तक मुझे कोई तकलीफ ही
नही हुई, आपने कभी भी मेरी
आँखो मे आंसू नही आने दिया
पर आपके जाने के बाद कोई
एसा दिन नही बिता जो बिना
आंसूओ के गुजरा हो, मै किसी
से कभी अपना दर्द नही बता पाता
आप ही थे जिस्से मै अपनी हर
छोटी बड़ी बात हर एक तकलीफ
बताया करता था, मै जब भी किसी
को उनके पापा के साथ देखता हूँ
तो ना चाहते हुए भी आखो मे
आंसू आ जाते है, मै अन्दर से
पूरी तरह टूट चुका हूँ बस जिन्दा हूँ
तो सिर्फ अपनी माँ और बहन के लिए। ।🥺😭-
दर्द पापा का समझ आया जब कमाने लगा
ज़िंदगी में मुझे अब सब समझ में आने लगा
क्यों था आख़िर उन्हें इतना इताब ये मिरे पे
ये मिरा अपना ही बातिन मुझे बताने लगा
मन नहीं लगता मिरा घर में अब कभी भी कहीं
इसलिए रोज़ ही मैं देर से भी आने लगा
चेहरे पर भी खुशी लानी है मुझको उनके लिए
अब तो पापा की तरह ख़ुद को मैं बनाने लगा
उम्र पापा की भी इज़्ज़त कमाने में ही रही
घर का छोटा सा वो लड़का उसे कमाने लगा
सर से पानी भी गुज़र जाए पर वो उफ़ न करें
मैं भी "निर्भय" उन्हीं का फ़र्ज़ अब निभाने लगा-
ना आज प्यार मिला
ना दुलार मिला
ना किसी ने हक़ जताया
ना किसी ने सीने से लगाया!
आज पापा की यादों ने ऐसा
केहर ढाया !
हर बार मुस्कुराता चेहरा मुरझाया!
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