मौत को क्या खुब कहा है...
जिन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास ना बेठा ,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे...
कोई तोहफा ना मिला आज तक ,
और आज फुल ही फुल दिये जा रहे थे...
तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये ,
और आज कंधे पे कंधे दिये जा रहे थे...
दो कदम साथ चलने को तैयर न था कोई ,
और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे...
आज पता चला कि मौत कितनी हसीन होती है ,
कमबख्त हम तो यूँ ही जिन्दगी जीये जा रहे थे.....-
दुवा में माँग ही लेते हम तुमको
खुदा से जिद कर के
पर हम चाहते थे कि तुम
दुवा के सहारे न आओ-
बाबा!
मुझे उतनी दूर मत ब्याहना
जहाँ मुझसे मिलने जाने ख़ातिर
घर की बकरियाँ बेचनी पड़े तुम्हे
मत ब्याहना उस देश में
जहाँ आदमी से ज़्यादा
ईश्वर बसते हों
जंगल नदी पहाड़ नहीं हों जहाँ
वहाँ मत कर आना मेरा लगन-
जिन्दगी पर किताब लिखूंगा
उसमें सारे हिसाब लिखूंगा.....
प्यार को वक़्त गुज़ारी लिखकर
चाहतों को मोहब्बत लिखूंगा.....
हुई बर्बाद मोहब्बत कैसे
कैसे बिखरे हैं ख़्वाब लिखूंगा.......
अपनी ख़्वाहिश का अनुभव करके
नाम तेरा जवाब लिखूंगा......
तेरी आँखे शराब जैसी नशीली
तेरा चेहरा गुलाब लिखूंगा.......
मैं तुझसे जुदाई का सब्र
अपनी किस्मत ख़राब लिखूंगा.......-
मैं जब तुम्हे लिखूंगा
चाँद नही , आसमान लिखूंगा....
भरी दोपहरी में बैठ के ,
तुम्हे शाम लिखूंगा...
जो पूछेगा कोई तेरी पहचान
मेरे नाम के आगे तेरा नाम लिखूंगा.....!!-
खुश हैं वो
हमें याद ना करके.....
हँस रहीं है वो
हमसे बात ना करके.....
ये हँसी उसके होंठो से
कभी ना जाए.....
खुदा करें की
वो हमारी मौत पे भी
वो मुस्कुराए......-
पलकों में आसूँ
और दिल में दर्द रोया ,
हसने वालों को क्या पता
रोने वाला किस कदर रोया ,
मेरी तन्हाई का आलम वो ही
जना सकता है ,
जिसने जिंदगी में
किसी को पाने से पहले खोया.......-