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7 OCT 2021 AT 13:09
जैसे बह रही है स्वरों की धारा
मेरे कण्ठ से;
ये मिठास कुछ तानसेन
की संगीत सा है
जैसे महसूस हो रहा है दुआओं का
एक बढ़ता सैलाब;
जैसे मेरा इसी देह में पुर्नजन्म हो
रहा है
जैसे महक रही है पंखुड़ियां मेरे
ऊर्जा केंद्रों की;
ये सुगंध कुछ माँ के पहले
स्पर्श सा है
जैसे माँ स्वयं कह रही है;
मैं हूँ यहीं तू बस पाप त्यागता जा
मैं हूँ तेरे साथ सदा ।।-
13 APR 2021 AT 12:14
सफ़र तो मुश्किल है मैया
मगर तुम साथ मत छोड़ना !
सारी उम्मीद तुमसे ही है मैया
तुम मेरा हाथ मत छोड़ना !!
जय माता दी 🙏 🙏
Happy Navratri
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