नक्सलवादियों का अंत होगा तुरंत
कसम है हमें शहीद वीर जवानों की
हर कीमत पर जीत कर रहेगें हम ये जंग।-
फिर हमले का हौसला
कर ना पाए कोय।
नक्सल के नासूर की
बड़ी सर्जरी होय।।
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नक्सलवाद को भारत के नक्शे से मिटा क्यो न देते
आखिर नक्सलवादी भी तो आतंकवादीयो के नक्शे कदम पर चल रहे है।।-
हिंसक जीवों को
मुख्यधारा में
जोड़ने की सनक
महज सियासी।
(विरोध ज़रूरी)
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उग्र उन्माद की बुनियाद
हिला कर रख दो।
लाल आतंक को मिट्टी में
मिला कर रख दो।।
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क्या तुम्हारे दिल मे कुछ दया नही होती,
क्या तुम्हारे मन मे कुछ हया नही होती ,
ए निर्दोष लोगों की जान लेने वालों ,
क्या तुम्हें खुद की ज़िंदगी भी प्यारी नही होती ।-
"आंसू " की हर बूंद में तेरी "तस्वीर" बन जाती है....
पर ये बात,इन "सियासी" दलों को कहाँ "समझ" आती है...
अब "नक्सलवाद" के खिलाफ,सभी "देशों "को "एक" होना पड़ेगा....
नहीं तो हर-बार सिर्फ "मासूमों " को ऐसा "आतंक" झेलना पड़ेगा....-
#गडचिरोली के शहीद वीर जवानों को नमन।
अपनी-अपनी सरकार बनाने के लिये सभी ने झुटे-झुटे जुमला कर डाला।
और उधर कुछ नामर्द नक्सलियों ने देश के वीरो पर हमला कर डाला।
- शायर शुभम-
कहां हो गई चूक,
जो मारे गए भारत मां के २३ वीर सपूत,
क्या सूचना अधूरी थी,
या साजिश पूरी थी,
क्या सरकार अंधी थी,
या सूचना विश्वासी थी,
क्या ये करना ऐक्शनेबल था,
या सीआरपीएफ के तंत्र पर मोहर लगा था,
क्या हमारे इंटेलिजेंस बेहतर है,
या नक्सलवादी ज्यादा इंटेलिजेंस हो गए,
पूछता है आज "गिरी" कुछ सवाल उन सरकारों से,
क्यों भेज दिया १००० जवानो को एक साथ एक जगह,
कहा से आए वो रॉकेट लॉन्चर उन दरिंदो के पास,
क्या ऐसे ही शहीद होते रहेंगे हमारे वीर जवान,
क्या सरकार यूहीं हाथों पर हाथ रखकर बैठी रहेंगी,
कब उन खामोश मां ओ के बारे में सोचोगे,
कभी उन विलाप करती पत्नियों के चेहरे याद आयेंगे,
कभी समझोगे उस उदास पिता कि मासूमियत,
कुछ करो, उठो, जागो सरकारों,
इस विचारधारा को मिटा दो,
उन वीर प्रसूता मां ओ को विश्वास दिला दो,
भाई का आत्मविश्वास लौटा दो,
भारत को फिर से हिंदुस्ता बना दो -२ ।
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