ऐ जिन्दगी
क्यूँ तू मुझे इतना रूलाती है,
क्या मेरी हंसी तुझे तनिक न भाती है,
क्यूँ लेती है तू मेरे इतने इम्तिहान,
क्या मेरी सुकूं भरी जिंदगी तुझे रास नहीं आती है,
आंखे तो चुप है पर रोता है ये दिल,
क्या मेरे दिल की ये तड़प तुझे दिख नही पाती है,
बहुत मजा आता होगा तुझे मेरी इस हालत पर,
तभी तो तू हर बार मुझे दोराहे पे ला खड़ा कर जाती है,
कोई और नहीं मिलता क्या तुझे मेरे सिवा,
क्यों हर बार मुझे ही अपना खिलौना बनाती है,
छोड़ दे तू अब मेरा हाथ मुझे नहीं रहना यहां,
देख मौत खड़ी हो दरवाजे पर मुझे अपने पास बुलाती है।
ऐ जिन्दगी
क्या मेरी सुकूं भरी जिंदगी तुझे रास नहीं आती है।।
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दर्दे-ए-बयां_Part_6
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वो अंधेरों में धकेलते रहे,
हम अपना घर फूक के,
उजाला करते रहे।-
दर्दे-ए-बयां Part_4
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हम डुबते रहे
मौहब्बत के दरिया में,
वो साहिल की
रेत बनकर निकल गये..!!-
दर्दे-ए-बयां Part_5
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अपनों के लिऐ झुकना कुबुल था हमें..
इस कदर झुके की लौग..
पायदान समझ बैठे..!!-
दर्दे-ए-बयां Part_1
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ना कर बयां दर्द इस बेदर्द जमानें से
ये तेरा दर्द समझ नहीं पाऐंगे
तू मांगेगा मरहम जख़्मों का इनसे,
ये देकर नमक तुझे रूलाऐंगे।-
क्या सुनोगे मेरी दर्दे दिल की दास्तान।
एक सपना ही था जो चल गया ।
उसे पाने की तमन्ना हम भी रखते है
जिगर हम भी रखते है उसे पाने की।
जितनी दूर मेरा सपना है उससे
कहीं ज्यादा मेरा मेहनत होगा।
तू जितनी दूर रहोगी मुझसे
तुझे पाने की ज़िद उतनी अधिक होगी।-
दर्दे-ए-बयां_Part_9
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हर रोज आतीं हैं वो,
मुझे मनाने के लिऐ "🙏" मैं खुशियों को आने नहीं देता
गमों से पक्की दोस्ती हो गयी है, अब उन्हें जाने नहीं देता।
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दर्दे-ए-बयां_Part_7
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मेरी नब्ज़ टटोलकर हक़िम ने कहा..
अरे! ये तो धोखे के घाव हैं..
इसका मरहम नहीं मिलता..!!-
दर्दे-ए-बयां Part_3
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क्यों?
ग़मों से घबराकर टुट जाते हो,
ये तो ज़िंदगी भर साथ निभाता है।
यक़ीन न हो..तो..
खुशियों का ठिकाना बता दो,
ग़र पता मालुम है
तो मुझे भी इसका पता दो।-