बेशक! तू मुझे,
छोड़ना चाहती थी तो छोड़ देती।
उस वक़्त छोड़ देती,
जब मुझे किसी की जरूरत नहीं थी।
उस वक़्त क्यों छोड़ा?
जब मुझे तेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी।-
शिकायत में ज़रूरत में इबादत में बहुत कुछ है
निगाहों से करोगे तो मोहब्बत में बहुत कुछ है-
बोझ दिल का आज तक ही ढोता रहा
किसलिए फिर इश्क़ ख़ुद में बोता रहा
हम-नवा से दर्द-ए-दिल मिलता गया
नींद फिर भी प्यार की क्यों सोता रहा
याद सबको अपने दिल में पल-पल किया
ज़िन्दगी से फिर भी उनको खोता रहा
हर किसी ने बस ज़रूरत समझा मुझे
फिर भी उनका हर तरह से होता रहा
इश्क़ तुझको कब हुआ है 'आरिफ़' यहाँ
बे-वजह क्यों फिर बिछड़कर रोता रहा-
आज मोहब्बत पानी-पानी
उसकी शरारत पानी-पानी
रोज़ मिलेंगे दिल की ख़ातिर
रोज़ क़यामत पानी-पानी
कौन न उससे दिल लगाए?
दिल की ज़रूरत पानी-पानी
साँस मिलाकर साँस चुराना
फिर भी शिकायत पानी-पानी
लोग भी 'आरिफ़' कुछ न करते
और नसीहत पानी-पानी-
ज़रूरत नहीं पड़ी उसे ज़माने की
उसने खुद से
खुदी को ख़तम जो कर दिया।-
ये कैसी मोहब्बत हो गई है मुझे तुझसे
औरों को ज़रूरत पड़ती है सांसों की
और मुझे ज़रूरत है तेरी।-