Kritika Sengupta 1 JUN 2019 AT 11:19 अकेली नहीं हूँ ज़िंदगी में,कई ज़ख़्म, कई दर्द, कई ग़म साथ हैं। - Arif Alvi 23 JUL 2020 AT 1:04 दर्द, ज़ख़्म, आँखों में नमीं है ज़िन्दगीकितनी ख़ुशियों की कमी है ज़िन्दगीकिसी को हँसी किसी को दु:ख हज़ारहर लम्हे में इसी तरह रमी है ज़िन्दगी - Arif Alvi 20 AUG 2020 AT 10:38 अपने ज़ख़्मों की जब सोचते हो तुमअपनी आँखों को तब नोचते हो तुमदर्द होगा तभी तो निकलेंगे ये आँसूइन आँसुओं को क्यों पोंछते हो तुमअपने दिल पर लगा लेते हो मरहमदूसरों की रूह तक खरोंचते हो तुमज़िन्दगी में हैवानियत के बीज बोकरइंसानियत फिर कैसे परोसते हो तुम?ऊँचा आसमां जो उड़ना चाहे 'आरिफ़'बेवजह दोनों पंखों को दबोचते हो तुम - Arif Alvi 14 AUG 2020 AT 11:35 करके इश्क़ कुछ मिला तो बता देंगेमिल गए तुम तो इश्क़ को दुआ देंगेज़िन्दगी का क्या भरोसा अब लोगोंज़ख़्म जिसने दिए हैं वो ही दवा देंगे - Arif Alvi 14 OCT 2020 AT 11:41 निगाहों को निगाहों से मिलाता चलतू अपने ज़ख़्म अपनों से सिलाता चलन मिलता है यहाँ कोई अगर तुझकोजहाँ जाए सभी अपना बनाता चल - Kritika Kiran 17 MAY 2019 AT 9:42 मेरे ज़ख़्मों की सूखती परतों सेछूटती झिल्लियाँ बिखर जाती हैं काग़ज़ परऔर देती हैं जन्म मर्मस्पर्शी कविताओं को! - Arif Alvi 11 OCT 2020 AT 0:59 दिल मिले और क्यासिलसिले और क्याज़ख़्म ही थे ज़राख़ुद सिले और क्याभूल जा अब सभीफिर मिले और क्याशाम ही तो हुईदिन ढले और क्यादेर हो जाएगीघर चले और क्याख़ुशबू क्यों आ रहीगुल खिले और क्यासिर्फ़ 'आरिफ़' ही क्योंदिल हिले और क्या - Arif Alvi 1 OCT 2020 AT 13:16 दर्द-ए-दिल की सुनो तुम प्यार करकेज़ख़्म सब सहते हैं आँखें चार करके - Arif Alvi 17 AUG 2020 AT 17:50 ताबीर ख़्वाब की कर रहा है कौनज़ख़्म दिल के यूँ भर रहा है कौन'आरिफ़' तो बेवजह हो रहा है फ़नाइश्क़ तो चला गया, घर रहा है कौन - Arif Alvi 27 DEC 2020 AT 23:43 ज़ख़्म से क्या पूछते हो दर्द के मरासिमदर्द तो हर सूरत में दर्द ही होता है साहब -