सुनो याद है ना, तुमने
सावन में आने का वादा किया था
आगमन हो चुका है सावन का
अब आ जाओ मैंने कब से राहों में नैन बिछाये है।
अब देरी ना करों आ जाओ
दिल की धड़कन बढ़ सी गई है मेरी
और आंखों में भी बेताबी के बादल छाये है।
मेरी जुल्फें उलझी हुई है कब से तुम्हारे इंतज़ार में
और एक अरसा बीत गया ,
इन आंखों ने काजल नहीं लगाये हैं।
मेरे कान के झुमके रूठे पङे हैं कब से
मेरी चुङीयां भी ख़ामोश पङी है, एक अरसे से
मेरी पायल ने भी कहा कोई धून सुनाये हैं।
सुकून क्या चीज़ है मालूम नहीं दिल को
और मेरी आंखें चैन की नींद कैसी होती है भूल गए हैं।
बस अब बहुत हुआ, अब और
मत बरसाओं मेरी आंखों को भी सुकून बख्शों
तुम्हारे इंतज़ार में न जाने मैंने कितने सावन बिताए हैं।
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10 JUL 2020 AT 8:57
10 MAY 2021 AT 10:46
10 JUL 2020 AT 17:27
हाँ याद है...
मैंने सावन में आने का वादा किया था
तेरे कोमल पलकों को लबों से छुने का वादा किया था
मैंने सुना था तेरी धड़कनों की सदा
मुझे मालूम है तेरी आँखों के अश्कों की अदा
मेरे जेहन में है तेरी जुल्फों की महक
मुझे याद है तेरे काजल की चमक
ज़ब तुम्हें आगोश में भरता था,
तेरे झुमके का सरमाना मुझे याद है
तुम ज़ब गोरी बाहों का हार पहनाती थी
तेरी चूड़ी का खनखनाना मुझे याद है
ज़ब तुम झटक कर चलती थी
तेरे पायल का गुनगुनाना याद है
तुम एक अजीम धैर्य की कहानी है
तुम इंतजार की रवानी है
कितना असहनीय होता है पिया वियोग ये सब जानते हैं
देश सेवा में तुमने भी दी बड़ी क़ुरबानी है
मिलन की बेताबी हमें भी है
तेरी तलब हमें भी है
आऊंगा प्रिया निश्चय हीं
चलती धड़कनों में तड़प तेरी हमें भी है...!!
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