कहू या ना कहू ।
आज मेरा मन बहुत चंचल सा है
तन्हाई मे थी एक परिदों की तरह.
कहना था बहुत कुछ है
लिखू कुछ ऐसे तरह
कहू या ना कहू.
यह हाल तेरी है यहा पल मेरा हो
है या वो कोई आया,
मुश्किल में ना तो उसे बुलाया!
मेरी तनाए से लिपट रही ती
मेरी सपनो के रेशम के धागे
अब तो बस लिपटी हुई रिशम्ं के धागो को सूल्जनो है आगे.
अब तो बरस जाएगे मेरी अरमानो की बरसात.
भिग ना चाहती हूँ उनके सात!
कहू या ना कहू ।
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22 NOV 2020 AT 20:47
18 FEB 2020 AT 15:28
कैसे कहुं मै तुझे अल्फाजो से,
प्यार तो मै तुझे दील से करता हुं...
लोग तो दावा करते हैं तेरी चाहत का,
मै तो सारे जहां से तुझे प्यार करता हुं...-
27 JUN 2020 AT 7:10
लाख छुपा लूँ इश्क़ मैं अपना , तुझे देख सब्र मेरा कहीं खो जाता है,
तू चुप चाप गर बैठा रहे,जी और भी तुझ पर मर जाता है।-